फिर अगले दिन हम सुबह उठे और चाय वगेरह पी और फिर खेतों में फ्रेश होकर आये और थोड़ी वाक भी की। वाक के कारण हमें गर्मी लगने लगी थी तो फिर मैं और मम्मी नंगी हो गई। फिर हम वाक से आये तो घर पर सब मजदूर आये थे। फिर मैं और मम्मी नंगी ही उनके बीच चली गई। फिर मैं उन सबसे मिली और उन सबके ऊपर से ही लंड सहलाने लगी। मैं और मम्मी उनसे चिपक चिपक कर मिल रही थी। फिर उनमें से कइयों ने तो अपने लंड बाहर निकाल लिए और मुझे देखकर अपना लंड हिलाने लग गए। वहीं पापा, भाई और काका भी खड़े थे। फिर ये देखकर पापा, भाई और काका पूरे नंगे हो गए और वो भी हमारे पास आ गए। फिर काका ने मुझे अपने से चिपका लिया और भाई भी उन सबके सामने मुंमय की कमर में हाथ डालकर खड़े हो गया। उन सबके सामने मम्मी और मै भाई से चुदवा चुकी थी। फिर मैं एक एक करके उन सबके लंड अपने हाथ से हिलाने लगी और जिसका भी पानी निकलता तो वो पानी कभी मैं तो कभी मम्मी पी जाती। तब वहाँ उन सब 10 मर्दों के बीच मैं और मम्मी एक दम नंगी खड़ी थी। फिर वो सब मजदूर भी नंगे हो गए थे। फिर दाई हम सबके लिए चाय लेकर आई। फिर हम सब चौकी पर बैठकर चाय पीने लगे। फिर चाय पीकर मम्मी भाई को लेकर उन मर्दों के साथ खेत चली गई। मम्मी गई तब मम्मी के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था। भाई को मिलकर कुल 8 मर्द हो गए थे और उनके साथ मम्मी नंगी ही चली गई थी।

फिर उनके जाने के बाद काका भी अपने घर चला गया और फिर मैं भी जल्दी से नहाकर तैयार होकर पापा के साथ गांव में बने मेरे क्लिनिक पर चली गई। फिर गांव में कुछ लोग आए और उन्होंने मेरे पूछा के मैं कहाँ गई थी तो फिर मैंने कह दिया के मैं दिल्ली ट्रेनिंग करने गई थी। फिर वो सब चले गए तो मेरा कपड़ो में दम घुट रहा था तो मैं अंदर चली गई और सब कपड़े खोलकर नंगी हो गई और धूप में लेट गई। पापा अंदर ही बैठे थे अगर कोई आएगा तो पापा सम्भाल लेंगे। फिर मैं कुछ देर लेटी रही और फिर इधर उधर घूमने लगी। मेरा मन थोड़ा थोड़ा चुदने को करने लगा था। फिर वहां पापा का दोस्त आ चुका था जिससे कि मैं पहले भी चुदाई करवा चुकी थी उसके घर पर ही। फिर वो आया तो फिर वो और पापा आपस मे बातें करने लगे। मुझे उनकी बातें साफ सुनाई दे रही थी। फिर वो मेरे बारे में पूछने लगा तो मैं क्लिनिक में नंगी ही चली गई और उनके सामने जाकर खड़ी हो गई। फिर पापा का दोस्त मुझे टकटकी लगाकर देखने लगा। मेरे गदराए बदन को देखकर वो काफी खुश हुआ और उसके मुँह में पानी आ गया था। फिर मैं उनके सामने खड़ी खड़ी ही अपनी चुत खुजाने लगीं और फिर मैं नंगी ही वहाँ इधर उधर घूमने लगी। मुझे देखकर पापा का दोस्त पूरा गर्म हो चुका था। तो वो खड़ा हुआ और उसने पापा के सामने ही मुझे पीछे से पकड़ लिया। फिर मैं घूमकर उसकी तरफ मुड़ी तो फिर वो मेरे बूब चुसने लगा। फिर कुछ देर तक मैं वहीं खड़ी खड़ी उसे अपने बोबे चुसवाती रही और फिर मैं उसका हाथ पकड़कर उसे अंदर ले गई।

फिर मैंने उसे नंगा करके चारपाई पर बैठा दिया और मैं खुद उसकी गोद में बैठ गई और उसका लंड चुत में डाल लिया। फिर मैं ऊपर नीचे होने लगी और फिर पापा का दोस्त भी मुझे तबियत से चोदने लगा। जिससे मेरी सिस्कारियाँ बाहर तक आ रही थी। फिर पापा ने आवाज देकर धीरे धीरे करने को कहा तो फिर मैं धीरे धीरे सिस्कारियाँ लेने लगी। फिर जब वो झड़बे वाले हुए तो फिर उन्होंने लंड बाहर निकाल लिया और मैं उनका लंड उनके झड़ने तक चूसती रही और सारा पानी पी गई। फिर मैं उनके साथ वहीं धूप में चारपाई पर ही लेट गई और उनके मुरझाए हुए लंड हो सहलाने लगी और वो भी मेरे बदन को सहलाते रहे। फिर हमने कुछ बातें की। वो कहने के तुम्हे चोदकर मजा आ जाता हैं। फिर मैं बोली के मुझे चोदकर इतना मजा आता हैं और यही काम आप अपने घर पर करते तो आपको और भी मजा आता। फिर वो बोले सभी तुम जैसे नहीं होते। फिर मैं बोली के सब होते हैं बस उन्हें थोड़ा समझाना पड़ता हैं। फिर मैं बोली के आप सब मुझ पर छोड़ दो आपकी बीवी और बेटियों को मैं समझा दूंगी। फिर आप भी मजे करना। नहीं तो फिर ऐसे ही किसी और से मजे करते रहना। फिर वो बोले के ठीक हैं। फिर वो कपड़े पहनने लगे और फिर चले गए। फिर मैं नंगी ही क्लिनिक में आकर बैठ गई। फिर मैं और पापा बातें करने लगे। तब दोपहर हो चुकी थी और कोई नहीं आने वाला था तो मैंने पापा से मेरी टेलर भाभी से मिलकर आने को कहा। तो फिर पापा ने कहा चलो। फिर पापा ने मेरे कपड़े लिए और जाकर जीप में बैठ गए और फिर मैं नंगी ही क्लिनिक से बाहर निकली और क्लिनिक के ताला लगाया और जाकर जीप में पीछे बैठ गई।

फिर हम जाने लगे तो रास्ते मे काका भी मिल गया तो उसे भी चढ़ा लिया। फिर हम तीनों कुछ ही देर में टेलर भाभी के पास पहुंच गए। फिर मैं तो घर के बाहर ही उतर गई एक दम नंगी और पापा और काका जीप अंदर घर मे ले गए। फिर मैंने बाहर ही पेशाब किया और फिर अंदर चली गई। अंदर गई तो देखा के भाभी नहा रही थी और पापा और काका धूप में चारपाई पर बैठ गए थे। फिर मैं बाथरूम के बाहर ही खड़ी होकर पूछने लगी के कितना टाइम लगेगा आपको। फिर भाभी ने कहा के बस थोड़ा ही। फिर भाभी ने बाथरूम का गेट खोल दिया। भाभी अंदर नंगी ही नहा रही थी। फिर मैं और भाभी वहीं बातें करने लगे। फिर भाभी ने मेरे पूछा के मै इतने दिन कहाँ गई थी तो मैंने भाभी को सब बता दिया। ये सब सुनकर भाभी तो हैरान रह गई। फिर वो नहा ली तो फिर भाभी नंगी ही बाहर आ गई और आंगन में अपने कपड़े सुखाने लगी। वहीं आंगन में ही पापा और काका बैठे थे। वो भी नंगे हो चुके थे और अपना लंड हिला रहे थे। फिर भाभी ने उन्हें चाय का पूछा तो पापा ने भाभी का हाथ पकड़कर अपनी गोद मे बैठा लिया और कहा के बस तुम ही आ जाओ। तुम्हारा ही दूध पी लेंगे। फिर पापा भाभी का बूब चुसने लगे। भाभी भी हंसते हुए पापा को बूब चुसवाने लगी। काका पास में ही बैठा था तो फिर वो भी भाभी के बदन को सहलाने लगे। फिर मैं भी उनके पास चली गई तो फिर काका ने मुझे अपनी गोद मे बैठा लिया और मेरे बदन को सहलाने लगे।

फिर पापा ने भाभी को वहीं आंगन में घोड़ी बना लिया और करने लगे। फिर काका ने भी मुझे चारपाई पर घोड़ी बना लिया और करने लगे। फिर पापा और काका हम दोनों की जमकर चुदाई करने लगे। फिर पापा मुझसे करने लगे और काका भाभी से। फिर करते करते पापा तो मेरी चुत में ही झड़ गए और काका भाभी की गाँड में। फिर मैं खड़ी हुई और आंगन के एक साइड में बैठकर पेशाब करने लगी। जिससे कि पापा का पानी निकल जाए। पापा का पानी ज्यादा अंदर नहीं गया था तो लगभग सारा पानी निकल गया था। फिर करने के बाद भी वो दोनों मेरे और भाभी के बदन को काफी देर तक सहलाते रहे। फिर हमारे पेशाब आने लगा तो फिर हम पेशाब करने घर के बाहर आ गए। फिर पापा और काका तो गली के दूसरी तरफ खड़े होकर नंगे ही पेशाब करने लगे और फिर मैं और भाभी भी वहीं बैठकर मूतने लगी। फिर जब हम सब ने पेशाब कर लिया तो पापा ने भाभी को और काका ने मुझे पकड़ लिया और बीच गली में ही हमारे बदन सहलाने लगे। उनके लंड भी खड़े हो चुके थे। फिर मैं और भाभी उनके लंड सहलाने लगी। हम गली में कई बार नंगे होकर आ चुके थे तो अब हमें किसी के आने का इतना डर नहीं लगता था और गली थी भी ऐसी के जिसमे से कभी कभार ही कोई आता जाता था। फिर पापा और काका ने हमे गली में ही दीवार के सहारे झुका कर खड़ा लिया और हमारी चुदाई करने लगे और तब तक चोदते रहे जब तक कि वो झड़ नहीं गए। फिर ही हम अंदर गए। फिर शाम होने लगी थी। तो फिर मैंने पापा से खेत चलने को कहा मम्मी और भाई के पास। फिर मैंने भाभी को बताया के मेरा भाई भी आया। कभी उसे भी लेकर आऊंगी। फिर भाभी ये सुनकर हँसने लगी और कहने लगी हाँ ले आना। फिर पापा और काका तो कपड़े पहनकर जीप में बैठ गए पर मैं वैसी ही नंगी जीप में पीछे जाकर बैठ गई। फिर हम खेत के लिए चल पड़े और भाभी वैसे ही नंगी ही घर के काम मे लग गई।

अगले भाग में बताऊँगी के खेत में हमने क्या क्या किया...

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