फिर मैं और भाई ट्रैन से गांव के लिए रवाना हो गए। सफर लंबा था और मेरी भी थकान पूरी तरह उतर चुकी थी तो फिर से मेरा चुदाई के मन फुदकने लगा। वैसे भाई रोज मेरी चुदाई करता तो था पर अब मुझे नए नए तरीको से चुदाई करने में काफी मजा आता था और अब तो भाई को भी ऐसे मजा आने लगा था। हम ट्रैन के डिब्बे में बैठे थे तो उसमें लगभग सभी आदमी ही थे। तो मेरे मन मे चुदाई के ख्याल आने लगे के जैसे मैं उनके सामने नंगी होकर नाच रही हूँ और फिर वो सब एक एक करके मेरी चुदाई कर रहे हैं। फिर बस ऐसे ही ख्यालों में सफर कटने लगा। सफर थोड़ा लंबा होता तो शायद मैं कुछ कर भी लेती पर जब तक कुछ मैं सोच पाती इतने में हमारा स्टेशन आ गया और फिर हम गाड़ी से उतर गए। पापा को हम पहले ही खत में गाड़ी का समय लिख चुके थे तो फिर पापा हमे लेने के लिए वहां तैयार ही खड़े थे। तब शाम का टाइम था और सर्दी भी होने लगी थी। फिर मैं और भाई पापा के पास गए। वहाँ लोग तब आ जा रहे थे तो ऐसा वैसा कुछ नहीं किया। पापा हमसे मिलकर काफी खुश हुए थे। फिर पापा ने चुपके से मेरी गाँड भी सहला दी तो मुझे हंसी आ गई। पापा ने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और फिर मौका देखकर मेरे बोबे भी दबा दिए। फिर हम स्टेशन से बाहर आ गए और फिर जीप में बैठकर जाने लगे।
मैं पापा से काफी दिन बाद मिल रही थी तो पापा चोदना चाहते थे और मैं भी पापा से करना चाहती थी। मैं आगे पापा और भाई के बीच मे बैठी थी। लेकिन फिर मैं पीछे गई और अपने कपड़े खोलकर एक दम नंगी हो गई और फिर वापिस आगे जाकर बैठ गई। फिर पापा और भाई दोनों ही मेरे बदन को सहलाने लगे। मैं भी भाई और पापा के लंड सहलाने लगी। तब तक इतना अंधेरा नहीं हुआ था अगर कोई भी हमे ध्यान से देखता तो उसे मेरे बोबे जरूर दिख जाते। पर मुझे और पापा और भाई को इसकी बिल्कुल भी चिंता नहीं थी। फिर हम चलते रहे। फिर थोड़ा थोड़ा अंधेरा हो गया और सड़क पर भी कोई दिखाई नहीं दे रहा था। दोनों तरफ खेत थे और कहीं कहीं खाली जगह भी पड़ी थी। फिर पापा ने ऐसी ही एक जगह जीप रोकी। उनका लंड खड़ा हो गया था तो फिर मैंने उनका लंड बाहर निकालकर हिलाने लगी थी। जीप रुकी तो पास ही एक मंदिर जैसा बना था। वो शायद किसी की समाधि थी जो कि किसी ने अपने खेत मे बनाई हुई थी। फिर पापा और भाई जीप से उतरे और फिर मैं भी नंगी ही जीप से उतर गई। ठंडी हवा चल रहा थी फिर भी मुझे ठंड नहीं लग रही थी क्योंकिं मैं अंदर से काफी गर्म थी।
फिर हम तीनों उस समाधि पर चले गए। वो समाधि तीनो और से बंध थी। फिर वहाँ जाकर पापा और भाई भी नंगे हो गए। फिर मैं पापा का लंड चुसने लगी और भाई का हाथ मे लेकर हिलाने लगी। फिर उन दोनों के लंड काफी कड़क हो गए। फिर पापा ने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गाँड चाटने लगे। मेरे आगे भाई था तो मैं भाई का लंड चूस रही थी। फिर थोड़ी देर गाँड चाटने के बाद पापा ने मेरी गाँड में लंड डालकर करने लगे। मेरी गाँड अब इतनी चौड़ी हो चुकी थी के मुझे पता ही नहीं चलता था कब लंड अंदर गया और कब बाहर निकला। फिर पापा मेरी कमर पकड़कर मेरी गाँड चोदने लगे। फिर पापा ने पीछे से ही मेरी चुत में लंड डालकर करने लगे। फिर भाई भी काफी गर्म हो चुका था तो फिर वो मेरे नीचे आ गया और उसने पापा के लंड के साथ ही अपना लंड मेरी चुत में डालने लगा। लेकिन दोनों अंदर नहीं जा रहे थे। फिर थोड़ी देर बाद जैसे तैसे दोनों के लंड एक साथ अंदर चले गए पर ज्यादा अंदर तो फिर भी नहीं गए। फिर वो वैसे ही करने लगे। मेरे भाई और बाप के लंड एक साथ मेरी चुत में अंदर बाहर हो रहे थे। शायद ही कोई औरत होगी जिसने ऐसा किया होगा। फिर पापा ने लंड गाँड में डालकर करने लगे और भाई का चुत में अंदर तक चला गया। फिर वो दोनों मेरी चुदाई करने लगे। पापा पीछे से मेरी गाँड पर थप्पड़ भी मारने लगे तो मुझे मीठा सा दर्द होता और मेरी सिसकारी निकल जाती। फिर थोड़ी देर बाद पापा तो मेरी गाँड में ही झड़ गए और फिर वो साइड में होकर बैठ गए। भाई मुझे चोद ही रहा था। फिर भाई भी झड़ने वाला हुआ तो फिर भाई उठकर खड़ा हो गया और फिर उसने अपना लंड मेरे मुंह मे डाल दिया और।फिर भाई झड़ने लगा तो मैं सारा पानी पी गई। फिर भाई भी शांत हो गया।
फिर पापा ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और बोले के तू इतनी मस्त औरत हैं के कोई भी आदमी तुम्हे तुम्हे चोद चोदकर मर जाये फिर भी उसका मन ना भरे। फिर पापा की बात पर मैं हँसने लगी। फिर पापा और भाई ने अपने कपड़े पहने और फिर हम वापिस जीप की तरफ जाने लगे। अब मुझे ठंड लग रही थी तो मैं पापा और भाई से चिपककर चल रही थी। फिर हम जीप में बैठ गए। मैं जीप में भाई से चिपककर बैठ गई और पापा जीप चलाने लगे। फिर कुछ देर हम घर पहुंच गए। घर पहुंचते ही मैं वैसे ही नंगी जीप से उतर गई और पापा और भाई के साथ हम बाहर वाले कमरे में चले गए। तब तक काफी अंधेरा हो चुका था। अंदर गए तो देखा के काका दाई को घोड़ी बनाकर चोद रहा था और मम्मी उनके पास नंगी बैठी थी। फिर हमें देखकर मम्मी खड़ी हुई और मेरे और भाई से मिली। फिर मम्मी भाई का लंड पकड़कर सहलाने लगी और फिर वो बाते करते करते चारपाई पर बैठ गए। फिर भाई भी मम्मी के बूब सहलाने लगा। हमे देखकर दाई और काका अलग हुए तो फिर मैं उनके पास गई और पहले दाई से मिली और फिर काका से। फिर हम तीनों बेड पर रजाई में बैठ गए। मैं काका और दाई के बीच मे थी और फिर पापा भी दाई के पास आकर बैठ गए। फिर काका मेरे बदन को सहलाने लगा और पापा भी दाई के बड़े बड़े बोबे दबाने लगे।
मम्मी पहले थोड़ी मोटी थी पर अब वो थोड़ी पतली हो गई थी पर बूब और गाँड अभी भी पहले जैसे ही बड़े बड़े ही थे। फिर मम्मी और भाई पहले तो बातें करते रहे और फिर मम्मी भाई का लंड चुसने लगी। जिसके कारण भाई का लंड फिर से खड़ा हो गया था। काका दाई की गाँड में झड़ा नहीं था तो काका का लंड खड़ा ही था। फिर काका मेरे साथ करवट लेकर सो गया और अपना लंड मेरी गाँड में डालकर करने लगा। उधर पापा भी दाई के साथ मस्ती करने लगे। दाई मेरे पास ही सोई थी तो मैं दाई के बूब दबाने लगी। फिर भाई मम्मी को चोदने लगा और काफी देर तक चोदा और फिर मम्मी की चुत में ही झड़ गया। उधर काका भी मेरी गाँड में झड़ गया। पापा और दाई तो वैसे ही एक दूसरे से मस्ती कर रहे थे। फिर हमें भूख लग गई थी तो फिर दाई और मम्मी सिर्फ एक कपड़ा लपेटकर खाना लेने चली गई। फिर वो खाना लेकर आई तो फिर मैंने, भाई और पापा ने खाना खाया। फिर खाना खाकर पापा और दाई तो चारपाई पर साथ मे सो गए। मैं और मम्मी भाई और काका के साथ बेड पर सो गए। फिर हम सब बातें करने लगे। फिर मैंने और भाई ने दिल्ली में जो जो किया वो सब बताया तो इसे सुनकर वो सब गर्म हो गए। फिर मम्मी बोली के मैंने भी उन मजदूरों से सबसे चुदवा लिया हैं। अब तो हम दोनों माँ बेटी रंडी से भी आगे निकल गई हैं। ये सुनकर हम सब हँसने लगे। फिर भाई और काका ने हम दोनों माँ बेटी की साथ मे चुदाई की और फिर हम सो गए।
दिल्ली से आने के बाद गांव में मेरा पहला दिन कैसा रहा और क्या क्या हुआ ये अगले भाग में बताऊँगी...
मैं पापा से काफी दिन बाद मिल रही थी तो पापा चोदना चाहते थे और मैं भी पापा से करना चाहती थी। मैं आगे पापा और भाई के बीच मे बैठी थी। लेकिन फिर मैं पीछे गई और अपने कपड़े खोलकर एक दम नंगी हो गई और फिर वापिस आगे जाकर बैठ गई। फिर पापा और भाई दोनों ही मेरे बदन को सहलाने लगे। मैं भी भाई और पापा के लंड सहलाने लगी। तब तक इतना अंधेरा नहीं हुआ था अगर कोई भी हमे ध्यान से देखता तो उसे मेरे बोबे जरूर दिख जाते। पर मुझे और पापा और भाई को इसकी बिल्कुल भी चिंता नहीं थी। फिर हम चलते रहे। फिर थोड़ा थोड़ा अंधेरा हो गया और सड़क पर भी कोई दिखाई नहीं दे रहा था। दोनों तरफ खेत थे और कहीं कहीं खाली जगह भी पड़ी थी। फिर पापा ने ऐसी ही एक जगह जीप रोकी। उनका लंड खड़ा हो गया था तो फिर मैंने उनका लंड बाहर निकालकर हिलाने लगी थी। जीप रुकी तो पास ही एक मंदिर जैसा बना था। वो शायद किसी की समाधि थी जो कि किसी ने अपने खेत मे बनाई हुई थी। फिर पापा और भाई जीप से उतरे और फिर मैं भी नंगी ही जीप से उतर गई। ठंडी हवा चल रहा थी फिर भी मुझे ठंड नहीं लग रही थी क्योंकिं मैं अंदर से काफी गर्म थी।
फिर हम तीनों उस समाधि पर चले गए। वो समाधि तीनो और से बंध थी। फिर वहाँ जाकर पापा और भाई भी नंगे हो गए। फिर मैं पापा का लंड चुसने लगी और भाई का हाथ मे लेकर हिलाने लगी। फिर उन दोनों के लंड काफी कड़क हो गए। फिर पापा ने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गाँड चाटने लगे। मेरे आगे भाई था तो मैं भाई का लंड चूस रही थी। फिर थोड़ी देर गाँड चाटने के बाद पापा ने मेरी गाँड में लंड डालकर करने लगे। मेरी गाँड अब इतनी चौड़ी हो चुकी थी के मुझे पता ही नहीं चलता था कब लंड अंदर गया और कब बाहर निकला। फिर पापा मेरी कमर पकड़कर मेरी गाँड चोदने लगे। फिर पापा ने पीछे से ही मेरी चुत में लंड डालकर करने लगे। फिर भाई भी काफी गर्म हो चुका था तो फिर वो मेरे नीचे आ गया और उसने पापा के लंड के साथ ही अपना लंड मेरी चुत में डालने लगा। लेकिन दोनों अंदर नहीं जा रहे थे। फिर थोड़ी देर बाद जैसे तैसे दोनों के लंड एक साथ अंदर चले गए पर ज्यादा अंदर तो फिर भी नहीं गए। फिर वो वैसे ही करने लगे। मेरे भाई और बाप के लंड एक साथ मेरी चुत में अंदर बाहर हो रहे थे। शायद ही कोई औरत होगी जिसने ऐसा किया होगा। फिर पापा ने लंड गाँड में डालकर करने लगे और भाई का चुत में अंदर तक चला गया। फिर वो दोनों मेरी चुदाई करने लगे। पापा पीछे से मेरी गाँड पर थप्पड़ भी मारने लगे तो मुझे मीठा सा दर्द होता और मेरी सिसकारी निकल जाती। फिर थोड़ी देर बाद पापा तो मेरी गाँड में ही झड़ गए और फिर वो साइड में होकर बैठ गए। भाई मुझे चोद ही रहा था। फिर भाई भी झड़ने वाला हुआ तो फिर भाई उठकर खड़ा हो गया और फिर उसने अपना लंड मेरे मुंह मे डाल दिया और।फिर भाई झड़ने लगा तो मैं सारा पानी पी गई। फिर भाई भी शांत हो गया।
फिर पापा ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और बोले के तू इतनी मस्त औरत हैं के कोई भी आदमी तुम्हे तुम्हे चोद चोदकर मर जाये फिर भी उसका मन ना भरे। फिर पापा की बात पर मैं हँसने लगी। फिर पापा और भाई ने अपने कपड़े पहने और फिर हम वापिस जीप की तरफ जाने लगे। अब मुझे ठंड लग रही थी तो मैं पापा और भाई से चिपककर चल रही थी। फिर हम जीप में बैठ गए। मैं जीप में भाई से चिपककर बैठ गई और पापा जीप चलाने लगे। फिर कुछ देर हम घर पहुंच गए। घर पहुंचते ही मैं वैसे ही नंगी जीप से उतर गई और पापा और भाई के साथ हम बाहर वाले कमरे में चले गए। तब तक काफी अंधेरा हो चुका था। अंदर गए तो देखा के काका दाई को घोड़ी बनाकर चोद रहा था और मम्मी उनके पास नंगी बैठी थी। फिर हमें देखकर मम्मी खड़ी हुई और मेरे और भाई से मिली। फिर मम्मी भाई का लंड पकड़कर सहलाने लगी और फिर वो बाते करते करते चारपाई पर बैठ गए। फिर भाई भी मम्मी के बूब सहलाने लगा। हमे देखकर दाई और काका अलग हुए तो फिर मैं उनके पास गई और पहले दाई से मिली और फिर काका से। फिर हम तीनों बेड पर रजाई में बैठ गए। मैं काका और दाई के बीच मे थी और फिर पापा भी दाई के पास आकर बैठ गए। फिर काका मेरे बदन को सहलाने लगा और पापा भी दाई के बड़े बड़े बोबे दबाने लगे।
मम्मी पहले थोड़ी मोटी थी पर अब वो थोड़ी पतली हो गई थी पर बूब और गाँड अभी भी पहले जैसे ही बड़े बड़े ही थे। फिर मम्मी और भाई पहले तो बातें करते रहे और फिर मम्मी भाई का लंड चुसने लगी। जिसके कारण भाई का लंड फिर से खड़ा हो गया था। काका दाई की गाँड में झड़ा नहीं था तो काका का लंड खड़ा ही था। फिर काका मेरे साथ करवट लेकर सो गया और अपना लंड मेरी गाँड में डालकर करने लगा। उधर पापा भी दाई के साथ मस्ती करने लगे। दाई मेरे पास ही सोई थी तो मैं दाई के बूब दबाने लगी। फिर भाई मम्मी को चोदने लगा और काफी देर तक चोदा और फिर मम्मी की चुत में ही झड़ गया। उधर काका भी मेरी गाँड में झड़ गया। पापा और दाई तो वैसे ही एक दूसरे से मस्ती कर रहे थे। फिर हमें भूख लग गई थी तो फिर दाई और मम्मी सिर्फ एक कपड़ा लपेटकर खाना लेने चली गई। फिर वो खाना लेकर आई तो फिर मैंने, भाई और पापा ने खाना खाया। फिर खाना खाकर पापा और दाई तो चारपाई पर साथ मे सो गए। मैं और मम्मी भाई और काका के साथ बेड पर सो गए। फिर हम सब बातें करने लगे। फिर मैंने और भाई ने दिल्ली में जो जो किया वो सब बताया तो इसे सुनकर वो सब गर्म हो गए। फिर मम्मी बोली के मैंने भी उन मजदूरों से सबसे चुदवा लिया हैं। अब तो हम दोनों माँ बेटी रंडी से भी आगे निकल गई हैं। ये सुनकर हम सब हँसने लगे। फिर भाई और काका ने हम दोनों माँ बेटी की साथ मे चुदाई की और फिर हम सो गए।
दिल्ली से आने के बाद गांव में मेरा पहला दिन कैसा रहा और क्या क्या हुआ ये अगले भाग में बताऊँगी...
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