फिर कुछ देर बाद हम खेत पहुंच गए। फिर पापा और काका ने अपने कपड़े खोलकर जीप में ही रख दिये। फिर हम तीनों उनके पास जाने लगे। फिर हम जा ही रहे थे तो थोड़ा पास आने के बाद हमे दिखाई दिया के उनमें से कुछ मर्द खड़े हैं और कुछ शायद मम्मी की चुदाई कर रहे हैं। फिर जब हम उनके पास पहुंच गए तो देखा के तीन जने तो मम्मी से चुदाई कर रहे थे और बाकी सब खड़े होकर अपना लंड हिला रहे थे और भाई भी चारपाई पर बैठकर मम्मी की चुदाई देखकर अपना लंड हिला रहा था। हमे देखकर वो वैसे ही करते रहे। फिर भाई ने मुझे अपनी गोद मे बैठा लिया और मेरे बदन को सहलाने लगा उन सबके सामने ही। फिर मेरे पास एक दो मजदूर खड़े थे तो फिर मैं उनके लंड को पकड़कर सहलाने लगी। फिर मम्मी ने अपने मुँह से एक मजदूर का लंड बाहर निकाला और बोली के आज तो ये सब मेरी सुबह से ही चुदाई कर रहे हैं। थोड़ा भी आराम करने नहीं दिया। मम्मी की बात सुनकर हम सब हँसने लगे। फिर मम्मी फिर से उसका लंड चुसने लगी। फिर भाई गर्म तो था ही फिर वो भी मुझे घोड़ी बनाकर करने लगा। मैं घोड़ी बनी हुई थी तो मेरे आगे मजदूर खड़े थे तो एक एक करके मैं दोनों हाथों से उनके लंड हिलाने लगी और मुँह से भी चुसने लगी। इस प्रकार वो मेरी और मम्मी की चुदाई करने लगे।

हमारी चुदाई देखकर पापा और काका फिर से गर्म हो गए तो फिर उन्होंने भी हमारी चुदाई की। मम्मी को तो पता नहीं उन्होंने दिन में कितनी बार चोदा होगा क्योंकि उन सबने मुझसे एक एक दो दो बार तो कर ही लिया था। फिर अंधेरा होने लगा था तो फिर हम सब नंगे ही जीप में बैठकर जाने लगे। कुछ का तो तब भी मन नहीं भरा था तो उन्होंने घर आने तक हमारी चुत और गाँड में अपना लंड डाले ही रखा था। फिर घर आये तब तक अंधेरा हो चुका था। फिर वो सब मजदूर तो कपड़े पहनकर अपने अपने घर चले गए और फिर हम सब भी नहाए और खाना वगेरह खाया। फिर दिन भर की चुदाई से हम सब ही थक गए थे तो फिर हम सब सो गए। सोते टाइम मम्मी तो पापा और काका के साथ बेड पर सो गई और मैं रामु के साथ और भाई दाई के साथ सोया। फिर रामु ने मेरी एक दो बार चुदाई की और भाई ने दाई से भी एक दो बार किया। फिर हम करके सो गए और फिर सुबह ही जाग आई।

फिर सुबह उठकर हमने चाय पी और उस दिन हमने काका के घर जाने का प्लान बनाया। काका भी रात का यहीं था। फिर खाना वगैरह खाकर हम सब काका के घर चल दिये। हम तब पैदल ही जा रहे थे। रास्ते मैं भाई को हम सब गांव के बारे में बता रहे थे। फिर रास्ते मैं मम्मी और मैंने भाई, काका और पापा को अपनी सलवार खोलकर अपनी गाँड हिलाकर दिखाई और फिर हमने अपना कुर्ता उठाकर अपने बोबे बाहर निकालकर चलने लगी। ये सब देखकर वो हँसने लगे और हम माँ बेटी को भी काफी हंसी आई। फिर ऐसे करते करते हम गांव में पहुंच गए और फिर हम काका के घर भी पहुंच गए। फिर काका के घर मे जाने के बाद हमने देखा के काका की बेटी और बीवी नंगी ही थी और ऐसे ही काम कर रही थी। उन्हें देखकर भाई मुस्कुराने लगा। फिर हम सब भी नंगे हो गए। फिर पापा जाकर काका की बीवी और बेटी के बीच खड़े हो गए और उनके बदन को सहलाने लगे। उधर काका भी मेरी और मम्मी की कमर में हाथ डालकर खड़ा हो गया। फिर भाई भी काका की बेटी के पास गया और उसके बोबे दबाने लगा। फिर भाई काका की बेटी से अपना लंड चुसवाने लगा और उधर पापा काका की बीवी की गाँड मारने लगे। उधर काका भी मेरे और मम्मी के साथ मस्ती करने लगा। फिर भाई काका की बेटी को चोदने लगा और फिर काका भी मुझ घोड़ी बनाकर करने लगा। फिर काका ने मेरे पास ही मम्मी को भी घोड़ी बना लिया और मम्मी की गाँड और चुत में उंगली करने लगा। फिर भाई काका की बेटी की चुत मारने लगा और फिर थोड़ी देर काका की बेटी से करने के बाद वो काका की बीवी से करने लगा और पापा काका की बेटी से करने लगे। फिर बस ऐसे ही चलता रहा। धूप चढ़ गई थी और हम बस चुदाई में लगे हुए थे। फिर सब झड़ गए तो फिर हम सब धूप में ही बैठ गए और बातें करने लगे।

फिर भाई बोला के मजा आ गया। ऐसी चुदाई करने में अलग ही मजा आता हैं। फिर मैं बोली के अभी तो काफी मजे करने बाकी हैं। फिर भाई बोला के वो कैसे। तो फिर मैंने भाई को टेलर भाभी के बारे में बताया और उन मजदूरों के बारे में बताया जो कि हमारे यहाँ काम करने आते हैं। उनकी भी बीवी और बेटियों से चुदाई के बारे में बताया। ये सुनकर तो भाई बोला के फिर तो यहाँ चुतों का भंडार लगा है। फिर मैं बोली के और नहीं तो क्या। फिर हम ऐसे ही बातें करते रहे और फिर दोपहर होने वाली थी तो फिर हम सब मेरे क्लिनिक पर आ गए। फिर पापा और काका तो वहीं रह गए और मैं, मम्मी और भाई टेलर भाभी के घर चले गए। दोपहर का टाइम था तो सब गलियां खाली पड़ी थी। फिर मैं और मम्मी तो गली में ही नंगी हो गई। हमको गली में ऐसे नंगी देखकर भाई गर्म होने लगा। फिर मैंने और मम्मी ने गली में पेशाब किया और फिर हम अंदर चले गए। अंदर गए तो देखा के भाभी चारपाई पर अपने बच्चे के साथ नंगी ही लेटी थी। फिर हमें देखकर वो खड़ी हो गई और भाई को हमारे साथ देखकर अपने शरीर को कपड़े से ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी और फिर उसके हाथ से कपड़ा मैंने छीन लिया तो फिर भाभी नंगी ही खड़ी रही। फिर मैं बोली के भाभी आपको तो अभी भी शर्म आती हैं। फिर भाई जाकर भाभी से लिपट गया और भाभी के बदन को सहलाने लगा तो भाभी गर्म हो गई। फिर भाई भी नंगा हो गया और भाभी को वहीं चोदने लगा। फिर तो भाभी भी खुलकर चुदने लगी। कुछ देर की चुदाई के बाद वो दोनों झड़ गए। फिर भाभी ने हम सबको चाय पिलाई और फिर हम बातें करने लगे। भाई मेरे और मम्मी के बीच मे बैठा था तो मैं और मम्मी भाई का लंड हिलाने लगी थी। थोड़ी देर बाद ही भाई का लंड फिर से खड़ा हो गया। फिर भाई ने हम तीनों को घोड़ी बना लिया और फिर बारी बारी से हमारी चुदाई करने लगा। उसने हम तीनों की चुत और गाँड कई बार मारी। लेकिन वो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। फिर हमने एक एक करके उसका लंड चुसने लगी तब जाकर वो झड़ा। इस तरह शाम तक हम सब मजे करते रहे। फिर शाम हो गई तो हमने अपने कपड़े पहने और फिर हम तीनों घर के लिए चल पड़े। फिर हम बातें बातें करते करते घर पहुँच गए। उस दिन काफी ठंड थी। फिर हमने जल्दी से खाना खाया और फिर हम कमरे में चले गए। मम्मी ने उस दिन दो मजदूरों को भी बुलाया था तो वो भी आ गए थे। फिर मजदूरों समेत 6 मर्द हो चुके थे और हम तीन औरतें थी। फिर हमने नीचे ही गद्दे लगाए और रजाई में लेट गए। हर दो मर्द के साथ एक औरत लेट गई थी। ठंड बहुत थी और हम सब रजाई में एक दूसरे से चिपक कर लेटे हुए थे। फिर हम गर्म हो गए तो फिर चुदाई करने लग गए। फिर टोटल तीन राउंड हुए और हर एक राउंड के बाद हम औरतें दूसरे दो मर्दों के बीच जाकर सो जाती। इस तरह सभी मर्दों से हम एक एक बार चुदी और टोटल हम 6 बार चुदी और फिर हम वैसे ही सो गए। फिर सुबह थोड़ा लेट ही उठे थे। फिर हम सबने चाय पी। फिर वो दोनों मजदूर तो चले गए और बस हम ही रह गए थे। फिर काका ने मुझसे भाई को उन मजदूरों की औरतों से मस्ती करवाने को कहा। फिर मैं बोली के हां जरूर करवाउंगी। फिर भाई बोला के कैसे। फिर मैं बोली के वो सब तुम मुझ पर छोड़ दो। हम एक एक करके उनके घर जाएंगे और फिर तुम्हे जो पसंद हो उससे कर लेना। फिर भाई बोला के कोई कुछ नहीं कहेगा। फिर मैं हँसकर बोली के नहीं।

अगले भाग में बताऊँगी के भाई ने मजदूरों की औरतों से कैसे किया...

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