गाँव मे ऐसे खुलकर मजे करना हम सबके लिए एक यादगार पल था। फिर मैं ऐसे क्लिनिक में बैठी थी तो मेरे मन मे उस दर्जी औरत से मिलकर आने का विचार आया। फिर मैं उसके घर चली गई और जाकर उसके घर के बाहर वाले कमरे का गेट थपथपाया और कहा के मैं हूँ। फिर वो मेरी आवाज पहचान गई तो उसने गेट खोला। गेट खुलते ही मैंने देखा के वो नंगी ही थी। फिर मुझे जल्दी से अंदर लेकर उसने गेट बंद कर दिया। उसे नंगी देखकर मैंने उससे कहा के तुम अब ऐसे ही रहती हो क्या। फिर वो बोली के आपने आदत जो डाल दी है। फिर हम दोनों हँसने लगी। उसका पति भी वहीं नंगा सोया था। फिर मैं भी नंगी हो गई और फिर मैं उससे के बोबे दबाने लगी और फिर वो भी ऐसा ही करने लगी। फिर मैंने उससे लिप किस किया और फिर उसकी चूत चाटकर उसको झाड़ दिया फिर उसने भी ऐसा ही किया। फिर ऐसे ही नंगी सोई सोई बातें करने लगी। फिर मैंने उसके पति के बारे में पूछा के ये कुछ कम काज करते है क्या। फिर वो बोली क्या काम काज करेंगे। हमारे जमीन वगेरह तो हैं नहीं। फिर मैं बोली के पापा ने अभी गाँव के कुछ आदमियों को काम पर रखा है अगर तुम चाहो तो इसे भी लगवा देती हूँ उनके साथ। फिर वो बोलीं के हाँ लगवा दीजिए। कुछ पैसे ये भी लाने लगेंगे तो मेरा बोझ भी कुछ हल्का हो जाएगा। फिर वो बोबे देखकर बोली के ये पहले से ज्यादा बड़े हो गए है। अब मैं उन्हें क्या बताती के इन्हें 8-8 मर्द मिलकर दबाते है तो बड़े तो होंगे ही। फिर मेरे बोलने से पहले ही वो बोल पड़ी और हंसते हुए बोली के कौन मिल गया जो इन्हें इतना दबाता है। फिर मेरे मन में एक दम विचार आया के पापा के बारे में बता देती हूँ।

फिर मैं कहने लगी के तुम्हें बताऊंगी के तो तुम यकीन नहीं करोगी। वो बोली के बताओ तो सही। फिर मैं बोली के उस दिन मम्मी को तुम्हारे पति से चुदवाने के बाद मम्मी काफी खुश थी। फिर जब पापा मम्मी से करते तो मैं कमरे के नंगी खड़ी होकर उनको देखती थी। ये बात मम्मी को पता थी। फिर मम्मी ने एक दिन ये बात पापा को बता दी कि लड़की बहुत प्यासी है। इसकी प्यास घर पर ही बुझा दो। नहीं तो कल को बदनामी हो जाएगी। फिर पापा ने मुझे बुलाकर लाने के लिए कहा। फिर मम्मी नंगी ही कमरे से बाहर आई और मेरा हाथ पकड़कर कमरे के अंदर ले गई। मैं भी तब नंगी ही थी और पापा भी नंगे थे और वो अपने लंड के तेल लगा रहे थे। फिर पापा ने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और फिर मेरा हाथ पकड़कर चारपाई पर ले गए और मुझे सुला दिया। फिर पापा मेरे ऊपर आ गए और मुझे चूमने लगे। मैं गर्म तो पहले से ही थी तो फिर मैंने अपना हाथ से उनका लंड पकड़कर अपनी चूत पर रख दिया तो उन्होंने भी धक्का मारकर लंड अंदर डाल दिया। फिर वो मेरी चुदाई करने लगे। इसके बाद तो क्या दिन और क्या रात। बस मुझे अपने नीचे ही रखते है। मेरी ये झूठमूठ की कहानी सुनकर उसे कम ही विश्वास हुआ। वो बोली के तुम्हे तुम्हारी माँ ने तुम्हारे पापा से चुदवाया। फिर मैं बोली के हाँ। 

फिर मैं बोली के मैं एक दिन पापा के साथ आऊँगी। फिर तुम्हारे सामने उनसे चुदूगी। फिर तो तुम्हें यकीन हो जाएगा। फिर वो हँसते हुए बोली के हाँ। फिर मैं बोली के फिर मैं ही नहीं तुम्हे भी उनसे चुदना होगा। साथ मे तुम उनसे अपने पति के काम के बारे में पूछ लेना। फिर वो बोली के आप दोनों माँ बेटी मेरे पति से चुद चुकी हो। फिर वो तो मेरे पति को काम दे रहे है तो मुझे उनसे चुदने में क्या ऐतराज हो सकता है। मैं उसके मुँह से ये सुनकर खुश हुई। फिर हमें बाते करते हुए काफी देर हो चुकी थी। फिर मैंने उसे पेशाब करके आने के लिए बोला। फिर मैं उठकर अंदर की तरफ जाने लगी। फिर उसने मुझे रोका और कहा के अंदर कहाँ जा रही हो बाहर चलते है। फिर मुझे पहले की बातें याद आ गई के पहले हमने कैसे नंगी होकर गली में पेशाब किया था। फिर वो बोली के उस दिन के बाद से में गली में ही पेशाब करती हूँ। ये सुनकर मैं काफी खुश हुई। फिर उसने गेट खोला और फिर हम दोनों नंगी ही कमरे से बाहर आ गई और गली में बैठकर पेशाब करने लगी। फिर हम दोनों ने पेशाब कर लिया तो फिर हम गली में खड़ी होकर इधर उधर कुछ देर तक देखती रही और फिर अंदर आ गई। फिर उसका पति सोया था तो मैं नंगी ही उसके पति के ऊपर जाकर बैठ गई। उसका लंड खड़ा था तो वो मैंने चूत में डाल लिया और फिर मैं करने लगी। फिर मैं उससे बोली के तुम्हे भी इसी तरह मेरे पापा के लंड से चुदना है तो वो हँसने लगी। फिर वो झड़ने वाला हुआ तो मैं उसका लंड मुँह में लेकर उसका सारा पानी पी गई। फिर मैंने अपने कपड़े पहने और फिर मैंने उसे कल सुबह अपने पति को काम के लिए भेजने का कहकर वापिस क्लिनिक आ गई।

फिर वहाँ पर पापा और काका तैयार ही बैठे थे। फिर मैंने उन्हें उस दर्जी के बारे में बताया। फिर सुनकर पापा खुश हुए और काका भी बोले के फिर मुझसे भी चुदवा देना। मैंने कहा के एक बार पापा तो चोद ले फिर तुम भी चोद लेना। फिर मैं पापा से बोली के कल हम जल्दी ही उनके घर चलेंगे। फिर मैं उनके घर पर रुक जाऊँगी और आप उसके पति को जीप पर चढ़ाकर खेत छोड़कर फिर वापिस आ जाना। फिर हम शाम तक मस्ती करेंगे। फिर पापा बोले के ठीक है। फिर इतने में एक आदमी जो कि हमारे खेत पर काम करने वाला ही था वो आ गया। वो थोड़ा बूढ़ा था। फिर मैंने उससे कहा के अगर उसे गाँव की एक ओर औरत नंगी देखनी है तो वो दर्जी वाली गली में चक्कर लगाता रहे। वो बोला के ठीक है। फिर अगले दिन हम हमारे प्लान के मुताबिक ही दर्जी के घर चले गए। फिर उसने अपनी पति के लिए खाना बनाया और फिर वो पापा के साथ जीप में बैठ गया और फिर पापा उसे छोड़ने के लिए चले गए। फिर उनके जाने के बाद हम नंगी होकर बैठ गई। फिर मैंने उसे पेशाब करके आने के लिए बोला। फिर मैंने उससे कहा के अब सब खेत मे जा चुके है तो अब हमें कोई नहीं देखेगा। वैसे भी इस गली में कौन आता है। फिर हम दोनों कमरे से बाहर निकलकर गली में बैठकर पेशाब करने लगी। फिर मेरे कहे अनुसार वो बूढ़ा आदमी गली में हमारी तरफ चलकर आने लगा। मैंने दर्जी को बातों में लगा लिया तो उसने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। फिर वो थोड़ी दूर ही रहा था तो उसका ध्यान उसकी तरफ गया। फिर वो हँसते हुए उठी और दौड़कर कमरे में जाने लगी। पर इतने में वो दर्जी को अच्छे तरीके से देख चुका था। मैं तब गली में ही खड़ी थी। फिर मैं उस बूढ़े की तरफ मुस्कुराती हुई कमरे के अंदर चली गई। फिर मैं अंदर आई तो हम दोनों जोर जोर से हँसने लगी। फिर वो बोली के उसने देख लिया अब क्या होगा। फिर मैं बोली के कुछ नहीं होगा। वो बूढ़ा क्या बताएगा किसी को। मैंने कहा के तुम चिंता ना करो वो किसी को कुछ नहीं बताएगा।

फिर कुछ देर में पापा आ गए। जीप की आवाज सुनाई दी तो मैं नंगी ही उठकर गई और उसके घर के बड़े गेट खोल दिये ताकि जीप अंदर खड़ी की जा सके। फिर पापा ने जीप खड़ी कर दी और फिर गेट बंद करके हम दोनों साथ साथ ही कमरे में आने लगे। फिर कमरे के अंदर आये तो वो दर्जी ने कपड़े पहन लिए थे और वो घूँघट निकालकर बैठी थी। गांवों में रिवाज होता है अपने से बड़ो के सामने घूँघट निकलना। फिर मैं उससे बोली के अब इतनी भी मत शर्माओ। फिर मैंने पापा से कपड़े खोलने के लिए कहा और मैं दर्जी के कपड़े खोलने लगी। फिर कुछ देर में वो दोनों नंगे हो गए। फिर पापा चारपाई पर बैठ गए तो मैं दर्जी को पापा के पास ले गई और पापा ने उसे अपनी गोद में बैठा लिया। फिर पापा उसके बोबे दबाने लगे और उसकी चूत सहलाने लगे। मैं सामने बैठकर उन्हें देखने लगी। फिर कुछ देर बाद वो इतनी गर्म हो गई के वो खुद ही पापा का लंड मांगने लगी। पापा ने उसे काफी गर्म कर दिया था। फिर पापा ने भी देर नहीं कि और उसे लेटाकर उसकी चूत में लंड डाल दिया। फिर उनकी चुदाई काफी देर तक चलती रही और फिर पापा झड़कर उसके ऊपर ही सो गए। फिर वो बोली के आज जितना मजा तो कभी नहीं आया। फिर वो बताने लगी के मेरा पति तो सीधा ही करने लग जाता हैं। पर आपके साथ काफी मजा आया। फिर पापा उठकर बैठ गए और वो भी बैठ गई। फिर मैं भी पापा के साइड में जाकर बैठ गई और पापा का लंड हिलाने लगी। फिर मैं पापा के सामने नीचे बैठ गई और पापा का मुँह में लेकर चूसने लगी। फिर हमें देखकर वो बोली के एक बाप बेटी को ऐसा करते हुए पहली बार देख रही हूँ। फिर पापा का खड़ा हो गया तो मैं घोड़ी बन गई और पापा मेरी गाँड मारने लगे। फिर मैं तो झड़ गई थी पर पापा नहीं झड़े थे तो पापा ने फिर दर्जी को भी घोड़ी बनाया और उसकी गाँड मारने लगे और फर झड़ गए। फिर पापा हम दोनों के बूब चुसने लगे और फिर हमारी चूत भी चूसी। फिर पापा ने दर्जी से भी अपना लंड चूसवाया। फिर हम बैठकर बातें करने लगे। फिर पापा ने पेशाब करने के लिए बोला तो फिर मैं पापा से बोली के हम तो नंगी होकर गली में पेशाब करके आती है। पापा ये सुनकर बोले के चलो आज मैं भी तुम्हारे साथ पेशाब करने चलता हूँ। फिर दर्जी बोली के आज एक आदमी ने हमे पेशाब करते हुए देख लिया था। फिर पापा बोले के कौन था फिर मैंने उन्हें उसके बारे में बताया तो पापा बोले के वो तो अपने खेत पर ही काम करता है। मैं उसे बोल दूँगा तो वो अपना मुँह नहीं खोलेगा। फिर तो चाहे तुम उसके सामने नंगी होकर नाचोगी तो भी वो किसी को नहीं बताएगा। फिर हम तीनों गेट खोलकर गली में चले गए और पेशाब करने लगे। तब दोपहर हो चुकी थी तो और सब लोग खेतों में जा चुके थे तो हम आराम से नंगे ही गली में पेशाब करने लगे। फिर पेशाब करने के बाद पापा ने हम दोनों को पकड़ लिया और हमारे बोबे दबाने लगे। फिर दर्जी कहने लगी के अंदर चलकर कर लेते है। यहाँ कोई देख लेगा। फिर पापा बोले के तुम डरो मत कोई नहीं देखेगा। फिर पापा ने मुझे सीढ़ियों पर झुकाकर खड़ा कर लिया और गली में ही मेरी गाँड मारने लगे। पहले तो दर्जी हमे अंदर जाने का कह रही थी लेकिन फिर वो भी वहीं खड़ी होकर अपनी चूत सहलाने लगी। फिर पापा ने दर्जी को भी घोड़ी बनाया और फिर उसकी गाँड भी मारी और फिर झड़ गए। फिर हम अंदर चले गए। गली में पापा से चुदकर दर्जी का डर थोड़ा दूर हो चुका था। फिर दर्जी हमारे लिए चाय बनाकर लाई और फिर चाय पीने के बाद मैं तो कपड़े पहनकर क्लिनिक आ गई और पापा ने उससे और किया और फिर वो शाम तक आये। मैं क्लिनिक आई तब वहाँ काका बैठा था। फिर काका ने मुझे अंदर ले जाकर और चोदा। फिर शाम को पापा आ गए तो फिर हम उनके साथ जीप में बैठकर घर चले गए। फिर पापा ने कुछ दिन तक ऐसे ही किया। पहले दर्जी के पति को खेत छोड़कर आते और फिर शाम तक दर्जी को चोदते रहते। फिर एक दिन मैंने दर्जी को काका के बारे में भी बताया। फिर मैं, काका और पापा तीनो उसके घर गए। फिर मैंने उसके सामने काका और पापा से एक साथ किया। फिर वो हमें देखकर गर्म हो गई तो फिर पापा और काका ने उसके साथ भी एक साथ किया तो उसे उस दिन  पहले से ज्यादा मजा आया। तो फिर कई दिन तक पापा और काका ने मिलकर उसकी एक साथ चुदाई की। फिर बाद में कभी पापा तो कभी काका जाकर उसे चोद आते थे। वो भी उनकी चुदाई से काफी खुश थी।

अगले भाग में बताऊंगी के मम्मी के आने के बाद हमनें क्या क्या किया.....

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