फिर अगले दिन दर्जी सुबह सुबह ही अपने पति के साथ हमारे घर आ गई। दर्जी का पति तो बाहर पापा और काका के पास बैठ गया और वो हमारे पास अंदर आ गई। घर के अंदर मैं, मम्मी और दाई नंगी ही थी और इधर उधर घूम रही थी। फिर दर्जी को देखकर हम सब बहुत खुश हुई। फिर हमने दर्जी को भी नंगी कर दिया और फिर हम सब बैठकर बातें करने लगे। फिर दाई चाय बनाकर ले आई तो वो सब चाय पीने लगी और मैं चाय लेकर नंगी ही बाहर जाने लगी। फिर दर्जी बोली के ऐसे ही जाओगी। फिर मैं हँसकर बोली के अब शर्म किससे करनी हैं। फिर मैंने उन सबको बाहर वाले कमरे में बैठकर बाहर का नजारा देखने के लिए कहा। फिर वो सब बाहर वाले कमरे में आ गई और मैं चौकी पर चाय देने चली गई। तब बाहर पापा, काका और दर्जी के पति के अलावा 2-3 लोग और आ चुके थे। फिर मैं नंगी ही उनको चाय देने लगी और उनके साथ हंस हँसकर बातें करने लगी। ये देखकर दर्जी हैरान रह गई। फिर मैं उन्हें चाय देकर वापिस कमरे में आई तो दर्जी मम्मी और दाई से बाते कर रही थी। फिर मैंने और मम्मी ने दर्जी को सब बताया तो दर्जी को सब समझ मे आ गया। फिर जब बाहर सब लोग आ गए तो मैं और मम्मी बाहर चौकी पर चली गई और उन सबसे बातें करने लगी। उनमें से कुछ हमारे बोबे सहला रहे थे और हम भी उनके लंड सहला रही थी। वो सब नंगे थे। इतने मर्दों के सामने हम दोनों माँ बेटी को नंगी देखकर दर्जी तो देखती रह गई और अपनी चूत सहलाने लगी। फिर मैं और मम्मी उन्हें खेत के लिए विदा कर दिया तो वो सब खेत चले गए। उस दिन मम्मी उनके साथ नहीं गई थी। जब वो सब चले गए तो फिर दाई और दर्जी भी चौकी पर आ गए। फिर वहाँ रामु आया तो दर्जी रामु को देखती रह गई। रामु शरीर मे काफी बड़ा था। फिर दाई रामु के पास गई और उसका लंड सहलाने लगी। अपने बेटे का ही लंड सहलाता देखकर मैंने दर्जी को बता दिया के दाई अपने बेटे से कर चुकी है।
फिर दाई घोड़ी बनकर वहीं अपने बेटे से चुदने लगी। फिर पापा ने दर्जी को पीछे से पकड़ लिया और उसके बूब सहलाने लगी। दर्जी तब हँसने लगी। फिर काका भी हम दोनों माँ बेटी के बीच मे आकर खड़ा हो गया और हम दोनों की कमर में हाथ डाल लिया और मैं और मम्मी काका का लंड हिलाने लगी। फिर पापा ने दर्जी को घोड़ी बनाया और करने लगे। फिर पापा झड़ गए तो फिर काका ने भी दर्जी से किया और झड़ गए। लेकिन दर्जी अभी भी प्यासी दिख रही थी। उधर दाई भी झड़ चुकी थी पर रामु का लंड अभी भी खड़ा था तो फिर मैंने रामु को दर्जी के पास ले गई तो दर्जी रामु का लंड चुसने लगी। फिर दर्जी घोड़ी बन गई तो रामु दर्जी की चूत और गाँड मारने लगा। फिर रामु और दर्जी कुछ देर बाद झड़ गए तो दर्जी काफी खुश दिख रही थी और फिर बोली के आज तो मजा आ गया। फिर मम्मी बोली के आज में खेत मे चलना और भी मजा आएगा। फिर दर्जी बोली के नहीं नहीं मैं नहीं जाऊँगी। फिर मैं बोली के कुछ नहीं होगा। वो तुम्हे हाथ भी नहीं लगाएंगे। फिर हमने दर्जी को समझाया तो वो चलने के लिए तैयार हो गई। फिर मम्मी दर्जी से बोली के तू तीन मर्दों से अभी चुदी हैं और शर्मा इतनी रही। ये सुनकर हम सब हँसने लगे।
फिर दाई ने खाना बनाया और हम सबने खाना खाया। फिर हम सब खेत जाने के लिए जीप में बैठ गए। पापा और काका तो जीप में आगे बैठ गए और मैं, मम्मी और दर्जी नंगी ही जीप में पीछे बैठ गई। फिर हम थोड़ी देर बाद खेत मे पहुंच गए तो दर्जी को छोड़कर हम सब जीप से नीचे उतर गए। हमे देखकर वो सब हमारे पास आकर खड़े हो गए। फिर मैं उन सबसे बोली के मैं आज आप लोगों के लिए एक खास चीज लाई हूँ। फिर वो सब पूछने लगे के क्या। फिर उनमें से एक आदमी बोला के आज किसे हमारे सामने नंगी करोगी। फिर मैं बोली के अपने गांव की ही हैं। ये सुनकर वो सब बोलने लगे के तो जल्दी से लाओ उसे हमारे सामने। लेकिन मैं कुछ देर उन्हें तड़पाती रही। लेकिन फिर थोड़ी देर बाद मैंने मम्मी से दर्जी को जीप से उतारने के लिए कहा तो मम्मी ने दर्जी को जीप से उतार दिया। दर्जी को देखकर वो सब देखते ही रह गए। दर्जी भी उन सबको देखकर मुस्कुराने लगी। दर्जी को देखकर वो सब अपने लंड हिलाने लगे। फिर मैं और मम्मी उन सब के बीच मे चली गई और उन सब से चिपकने लगी। हम उनकी छाती से अपने बोबे रगड़ती तो वो पीछे से हमारी गाँड दबाते और कभी हमारी गाँड में अपना लंड डालकर सहलाते। फिर मैं दर्जी का हाथ पकड़कर भी उन सबके बीच ले गई तो वो सब एक एक करके दर्जी के बोबे सहलाने लगे और दर्जी के बदन को सहलाने लगे। फिर कुछ देर बाद दर्जी को भी मजा आने लगा तो वो खुद उन सबसे चिपकने लगी और उनके लंड सहलाने लगी। फिर हम सब गर्म हो गई और हमारी चूत से पानी बहने लगा तो पापा दर्जी को पकड़कर अपने पास ले आये और फिर दर्जी से करने लगे। काका मुझसे करने लगा और मम्मी उनमें से किसी दो के साथ करने लगी और बाकी सब खड़े होकर हमें देखने लगे। फिर वो सब झड़ने लगे तो उन सबने अपना पानी एक ग्लास में डाल दिया और फिर हमने वो पानी दर्जी को पिलाया।
फिर करने के बाद मैं, मम्मी और दर्जी वापिस उन सब मर्दों के बीच चली गई। उनमें दर्जी का पति भी था। तो दर्जी अपने पति के सामने ही उन सब मर्दों से मजे ले रही थी। फिर मैंने और मम्मी ने दर्जी के पति से चुदवाया तो वो भी खुश हो गया। फिर हम बैठकर बातें करने लगे फिर मम्मी ने उन सबको कहा के अगर तुम में से बुलाये बिना कोई दर्जी के घर गया या किसी ने इसके बारे में किसी को गाँव मे बताया तो फिर मम्मी अपने पास रखा डंडा उठाकर बोली के तो मैं उसकी गाँड इस डंडे से मारकर लाल कर दूँगी। फिर वो सब समझ गए थे। फिर मैं उन सबसे बोली के अगर तुम में से कोई अपने घर मे किसी से करना चाहते हो तो बताओ। उनसे करने में मैं तुम्हारी सहायता करूँगी। फिर मैं उन सबसे बोली के घर में करने से मजे ही मजे हैं। फिर उनमें से एक आदमी बोला के उसकी बेटी का चक्कर गांव के किसी लड़के से चल रहा है और वो उससे चुदती भी हैं। फिर वो बोला के आप उस लड़के को मेरी लड़की से दूर कर दो तो उससे मुझसे चुदवा दो। फिर मैं बोली के उस लड़के को ठीक तो ये सब कर देंगे। रही तुम्हारी बेटी को तुमसे चुदवाने की बात तो वो तुम मुझ पर छोड़ दो। फिर उनमें से एक आदमी बोला के उस लड़के को तो हम देख लेंगे। लेकिन फिर तुम्हे अपनी बेटी को हमारे सामने नंगी करना पड़ेगा। फिर वो आदमी बोला के तुम लोग तो मेरी सहायता कर रहे हो। तुम्हारे सामने तो अपनी बेटी को चोद भी दूँगा। फिर उसका मन होगा तो वो तुम में से किसी से कर भी लेगी तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकी तुम में से कोई किसी को नहीं बताएगा। पर पहले उस लड़के को देखो। फिर मैंने उन सबसे उस लड़के को ठीक करने को कहा तो फिर वो सब बोले के हम उसे जल्दी ही देख लेंगे। फिर मैं बोली के एक बार वो लड़का ठिकाने लग जाये फिर तुम मुझे बता देना फिर मैं तुम्हारी बेटी को तुमसे चुदवा दूँगी।
फिर ये सब बातें बातें करते शाम होने लगी। फिर मैं, मम्मी और दर्जी ने उन सबके लंड हिलाए और कुछ के लंड चूसे भी। फिर उन सबका पानी भी पिया। फिर शाम को हम सब जीप में बैठकर घर आने लगे। घर आते समय मैं, मम्मी और दर्जी उनके साथ नंगी ही उनकी गोद मे बैठी थी और वो सब हमारे बदन को सहला रहे थे। फिर घर आकर वो सब तो कपड़े पहनकर अपने घर चले गए। फिर दर्जी ने भी कपड़े पहने और अपने पति के साथ अपने घर चली गई। इसके बाद जब कभी दर्जी का मन होता तो दर्जी हमारे घर आ जाती और फिर हम सब मस्ती करते। फिर दर्जी घर पर भी नंगी रहती और जब कभी उनमें से कोई आदमी दर्जी के घर आता तो दर्जी उसका लंड चूस देती और कई बार तो गली में ही उसका लंड चूस देती थी। दर्जी अब पहले से काफी खुल गई थी। कई बार दर्जी मेरे पास क्लिनिक आ जाती तो मैं और दर्जी एक दूसरे से मजे करती और कई बार मैं दर्जी के घर जाती तो फिर मैं और दर्जी उसके पति के साथ या कभी मैं खेत के 2-3 आदमियों को दर्जी के घर बुला लेती और फिर उनसे मस्ती करती। मैं और दर्जी गली में नंगी होकर उन आदमियों के लंड चुस्ती और फिर वो हमारे बदन को सहलाते। इस प्रकार हम काफी मस्ती करते।
अगले भाग में बताऊंगी के मैंने उस आदमी की बेटी को उससे कैसे चुदवाया.....
फिर दाई ने खाना बनाया और हम सबने खाना खाया। फिर हम सब खेत जाने के लिए जीप में बैठ गए। पापा और काका तो जीप में आगे बैठ गए और मैं, मम्मी और दर्जी नंगी ही जीप में पीछे बैठ गई। फिर हम थोड़ी देर बाद खेत मे पहुंच गए तो दर्जी को छोड़कर हम सब जीप से नीचे उतर गए। हमे देखकर वो सब हमारे पास आकर खड़े हो गए। फिर मैं उन सबसे बोली के मैं आज आप लोगों के लिए एक खास चीज लाई हूँ। फिर वो सब पूछने लगे के क्या। फिर उनमें से एक आदमी बोला के आज किसे हमारे सामने नंगी करोगी। फिर मैं बोली के अपने गांव की ही हैं। ये सुनकर वो सब बोलने लगे के तो जल्दी से लाओ उसे हमारे सामने। लेकिन मैं कुछ देर उन्हें तड़पाती रही। लेकिन फिर थोड़ी देर बाद मैंने मम्मी से दर्जी को जीप से उतारने के लिए कहा तो मम्मी ने दर्जी को जीप से उतार दिया। दर्जी को देखकर वो सब देखते ही रह गए। दर्जी भी उन सबको देखकर मुस्कुराने लगी। दर्जी को देखकर वो सब अपने लंड हिलाने लगे। फिर मैं और मम्मी उन सब के बीच मे चली गई और उन सब से चिपकने लगी। हम उनकी छाती से अपने बोबे रगड़ती तो वो पीछे से हमारी गाँड दबाते और कभी हमारी गाँड में अपना लंड डालकर सहलाते। फिर मैं दर्जी का हाथ पकड़कर भी उन सबके बीच ले गई तो वो सब एक एक करके दर्जी के बोबे सहलाने लगे और दर्जी के बदन को सहलाने लगे। फिर कुछ देर बाद दर्जी को भी मजा आने लगा तो वो खुद उन सबसे चिपकने लगी और उनके लंड सहलाने लगी। फिर हम सब गर्म हो गई और हमारी चूत से पानी बहने लगा तो पापा दर्जी को पकड़कर अपने पास ले आये और फिर दर्जी से करने लगे। काका मुझसे करने लगा और मम्मी उनमें से किसी दो के साथ करने लगी और बाकी सब खड़े होकर हमें देखने लगे। फिर वो सब झड़ने लगे तो उन सबने अपना पानी एक ग्लास में डाल दिया और फिर हमने वो पानी दर्जी को पिलाया।
फिर करने के बाद मैं, मम्मी और दर्जी वापिस उन सब मर्दों के बीच चली गई। उनमें दर्जी का पति भी था। तो दर्जी अपने पति के सामने ही उन सब मर्दों से मजे ले रही थी। फिर मैंने और मम्मी ने दर्जी के पति से चुदवाया तो वो भी खुश हो गया। फिर हम बैठकर बातें करने लगे फिर मम्मी ने उन सबको कहा के अगर तुम में से बुलाये बिना कोई दर्जी के घर गया या किसी ने इसके बारे में किसी को गाँव मे बताया तो फिर मम्मी अपने पास रखा डंडा उठाकर बोली के तो मैं उसकी गाँड इस डंडे से मारकर लाल कर दूँगी। फिर वो सब समझ गए थे। फिर मैं उन सबसे बोली के अगर तुम में से कोई अपने घर मे किसी से करना चाहते हो तो बताओ। उनसे करने में मैं तुम्हारी सहायता करूँगी। फिर मैं उन सबसे बोली के घर में करने से मजे ही मजे हैं। फिर उनमें से एक आदमी बोला के उसकी बेटी का चक्कर गांव के किसी लड़के से चल रहा है और वो उससे चुदती भी हैं। फिर वो बोला के आप उस लड़के को मेरी लड़की से दूर कर दो तो उससे मुझसे चुदवा दो। फिर मैं बोली के उस लड़के को ठीक तो ये सब कर देंगे। रही तुम्हारी बेटी को तुमसे चुदवाने की बात तो वो तुम मुझ पर छोड़ दो। फिर उनमें से एक आदमी बोला के उस लड़के को तो हम देख लेंगे। लेकिन फिर तुम्हे अपनी बेटी को हमारे सामने नंगी करना पड़ेगा। फिर वो आदमी बोला के तुम लोग तो मेरी सहायता कर रहे हो। तुम्हारे सामने तो अपनी बेटी को चोद भी दूँगा। फिर उसका मन होगा तो वो तुम में से किसी से कर भी लेगी तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकी तुम में से कोई किसी को नहीं बताएगा। पर पहले उस लड़के को देखो। फिर मैंने उन सबसे उस लड़के को ठीक करने को कहा तो फिर वो सब बोले के हम उसे जल्दी ही देख लेंगे। फिर मैं बोली के एक बार वो लड़का ठिकाने लग जाये फिर तुम मुझे बता देना फिर मैं तुम्हारी बेटी को तुमसे चुदवा दूँगी।
फिर ये सब बातें बातें करते शाम होने लगी। फिर मैं, मम्मी और दर्जी ने उन सबके लंड हिलाए और कुछ के लंड चूसे भी। फिर उन सबका पानी भी पिया। फिर शाम को हम सब जीप में बैठकर घर आने लगे। घर आते समय मैं, मम्मी और दर्जी उनके साथ नंगी ही उनकी गोद मे बैठी थी और वो सब हमारे बदन को सहला रहे थे। फिर घर आकर वो सब तो कपड़े पहनकर अपने घर चले गए। फिर दर्जी ने भी कपड़े पहने और अपने पति के साथ अपने घर चली गई। इसके बाद जब कभी दर्जी का मन होता तो दर्जी हमारे घर आ जाती और फिर हम सब मस्ती करते। फिर दर्जी घर पर भी नंगी रहती और जब कभी उनमें से कोई आदमी दर्जी के घर आता तो दर्जी उसका लंड चूस देती और कई बार तो गली में ही उसका लंड चूस देती थी। दर्जी अब पहले से काफी खुल गई थी। कई बार दर्जी मेरे पास क्लिनिक आ जाती तो मैं और दर्जी एक दूसरे से मजे करती और कई बार मैं दर्जी के घर जाती तो फिर मैं और दर्जी उसके पति के साथ या कभी मैं खेत के 2-3 आदमियों को दर्जी के घर बुला लेती और फिर उनसे मस्ती करती। मैं और दर्जी गली में नंगी होकर उन आदमियों के लंड चुस्ती और फिर वो हमारे बदन को सहलाते। इस प्रकार हम काफी मस्ती करते।
अगले भाग में बताऊंगी के मैंने उस आदमी की बेटी को उससे कैसे चुदवाया.....
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