सुबह उठने के बाद पति और मम्मी जाने वाले थे तो मैं उनका समान वगैरह पैक करने लगी। फिर मम्मी और पति नहाकर आ गए थे पर उन्होंने अभी तक कपड़े नहीं पहने थे। फिर सास चाय बनाकर ले आई तो हम सब चाय पीने लगे। फिर मैंने मम्मी को सूट दिया पहनने के लिए। मम्मी ने वो सूट पहना तो मम्मी के बोबे बड़े होने के कारण वो सूट मुश्किल से मम्मी को आया। उस सूट में मम्मी के बूब काफी टाइट और कसे हुए दिख रहे थे। फिर पति बोले के मैं वहाँ पर ओर सूट सिलवा दूँगा। फिर पति ने भी कपड़े पहन लिए। फिर राज ने उनका समान जीप में रखा। फिर उन्हें छोड़ने के लिए साथ मे मैं और राज गए। उन्हें हम गाँव के बाहर जो बस स्टैंड था वहाँ पर छोड़ने गए थे। वहाँ 10 के लगभग लोग पहले से ही खड़े थे। फिर हम जीप में ही बैठे रहे। फिर राज मम्मी से छेड़खानी करने लगा और सलवार के ऊपर से ही मम्मी की चूत मसलने लगा। फिर मम्मी ने राज का लंड बाहर निकाला और चुसने लगी। फिर राज थोड़ी देर में झड़ गया तो मम्मी उनका सारा पानी पी गई। इतने में बस आ गई तो मम्मी अपना मुँह पोंछते हुए जीप से उतरी। फिर राज ने उनका सारा सामान बस में रखवाया और फिर मम्मी पति के साथ बस में बैठकर चली गई। फिर मैं और राज घर आ गए। मुझे और पापा को भी जाना था। तो मैं और पापा भी तैयारी करने लगे। फिर खाना वगैरह खाकर मैं और पापा भी चल पड़े। जाते जाते राज और नौकर ने मुझसे एक एक बार और किया और पापा ने भी सास की गाँड मारी। फिर हम चल पड़े।

कई दूर चलने के बाद मैंने पापा का लंड बाहर निकाला और सहलाने लगी। पापा मेरी तरफ देखकर मुस्कराए। फिर हम पहुंचने वाले ही थे तो मैंने अपने सब कपड़े खोल दिये और मैं पूरी नंगी होकर बैठ गई। फिर घर आ गया तो मैंने नंगी ही उतरकर घर का मैन गेट खोला। फिर पापा जीप अंदर ले गए तो मैंने गेट वापिस बंद कर दिए और अंदर जाने लगी। जीप की आवाज सुनकर दाई बाहर आई। दाई तब नंगी ही थी। फिर उसके पीछे काका भी बाहर आया। काका को देखकर मैं बोली के काका आप भी यहीं हो। फिर दाई बोली के इसने तो तुम्हारी मम्मी की याद में मेरी चूत चोद चोदकर सुजा दी है। ये सुनकर मैं हँसने लगी। फिर मैं चौकी पर चढ़ी और काका के पास गई तो काका ने मुझे पकड़कर अपने से चिपका लिया और फिर हम कमरे में चले गए। पापा भी दाई के साथ कमरे में आ गए। फिर काका मेरी चूत चुसने लगा। पापा भी गर्म थे तो वो भी हमारे पास आ गए और मेरे बूब चुसने लगे। फिर दोनों ने मुझे अपने बीच मे सुलाकर मेरी चूत और गाँड मारने लगे। फिर काका पापा से कहने लगा के हाय तेरी बेटी तो बहुत चुददकड है बहुत मजा देती है। फिर पापा मेरे बूब जोर जोर से दबाने लगे और मेरी गाँड कस कसकर मारने लगे। फिर थोड़ी देर बाद वो दोनों झड़ गए। हम तीनों ही जोर जोर से हाँफ रहे थे। फिर पापा बोले के अपनी बेटी की चुदाई करने का मजा ही अलग है। फिर काका बोला के हाँ ये तो है। फिर हम तीनों एक दूसरे से चिपककर सो गए।

शाम को पापा और काका ने दारू पी और दारू पीकर फिर मुझे चोदने लगे और फिर हम पता नहीं कब सो गए। फिर सुबह हम उठे और चाय वगेरह पीकर खेत मे चले गए। फिर हम लैट्रिन बैठने लगे और साथ मे बातें करने लगे। फिर मैं पापा और काका से बोली के मुझे गाँव के 10-15 लोगो के सामने नंगी होकर चुदना है। वो लोग आप जितनी उम्र के होने चाहिए। फिर मैं बोली के वो सब आसपास बैठे हो और उनके बीच मे एक चारपाई हो जिस पर वो एक एक करके आकर मुझे चोदे। ऐसा कहते हुए साथ मे मैं अपनी चुत सहलाने लगी। फिर पापा बोले के अपने आप पर कंट्रोल करो बेटी। फिर काका बोला के ऐसे मजे तो छुपकर किये जायें तब ही ज्यादा मजे आते है। यूँ सबके सामने ऐसा नहीं कर सकते है। पर अगर कुछ के सामने करें तो कोई फर्क भी नहीं पड़ता है। फिर काका बताने लगा के जब काका मम्मी को चोदने के लिए खेत में लेकर आता था तो एक दिन हमारे खेत में गांव के कुछ लोग मजदूरी पर काम कर रहे थे। फिर काका मम्मी को अपनी कुटिया के बाहर ही चारपाई पर चोदने लगा वो भी मम्मी को पूरी नंगी करके। फिर दोपहर के समय वो सब आराम करने के लिए काका के पास आकर बैठ गए तो काका ने मम्मी को कुटिया के अंदर भेज दिया। फिर वो सब सेक्स की बातें करने लगे। वो खेत पर काम करने वाले 3 लोग थे और वो नशेड़ी किस्म के थे। वो दिन में जो कुछ कमाते शाम को उसकी दारू पी जाते थे। फिर काका ने उनसे बोला के तुम जिस खेत मे काम कर रहे हो उस खेत की मालकिन को वो उनके सामने नंगी करके चोद सकता है। फिर वो तीनो पहले तो नहीं माने। फिर काका मम्मी को कुटिया से बाहर लेकर आया उनके सामने। मम्मी ने तब अपने मुँह पर घूँघट डाल रखा था और नीचे से पूरी नंगी थी।

मम्मी को नंगी देखकर उन सबके होश उड़ गए। फिर काका मम्मी को चारपाई पर लेटाकर चोदने लगा। फिर कुछ देर बाद मम्मी के मुँह से घूँघट हट गया तो तब भी उन्होंने नहीं पहचाना। क्योंकि मम्मी बाहर जाती है तो घूँघट निकालकर जाती है और वैसे भी वो तीनो नायक चमार थे जिनके घर थोड़े दूर थे तो वो मम्मी को कैसे देख पाते। इसी का फायदा उठाकर काका ने उनके सामने मम्मी को चोद दिया। फिर मैंने काका से पूछा के तो उन्होंने मम्मी को नहीं चोदा। फिर काका बोला के मैंने उन्हें हाथ ही नहीं लगाने दिया। वो सिर्फ अपना लंड हिलाते रह गए।

ये सब सुनकर मेरे मन मे भी ऐसा ही कुछ करने को हुआ। फिर मैं काका से बोली के मैं भी ऐसे लोगो के सामने नंगी होकर चुदना चाहती हूँ। फिर वो अगर किसी को बताए तो भी उनका कोई विश्वास ना करे और मैं गाँव मे उनके सामने घूम तो वो मुझे कपड़ों में देखे फिर भी मैं उन्हें नंगी ही दिखूँ और वो तड़प कर रह जाये। अगर उनसे मैं कर भी लूँ तो भी गाँव में किसी को बताए तो कोई उनका विश्वास ना करें। फिर काका बोले के फिर वो बेचारे तो तुम्हें गाँव मे घूमता देखेंगे तो वो तुम्हें पकड़कर तुमसे कर तो नहीं सकेंगे और बेचारे तड़पकर रह जाएंगे। मैं बोली के हाँ। फिर पापा बोले के हाँ ये सही रहेगा। उन्हें कुछ दिन दारू पिला देंगे तो फिर वो वैसे भी कुछ नहीं बोलेंगे। फिर मैं पापा से बोली के उनके सामने तो मैं आपसे ही चुदूगी। हम बाप बेटी की चुदाई देखकर वो बैचेन हो जाएंगे। फिर वो ना तो सो सकेंगे और ना ही किसी को बता सकेंगे। फिर पापा और हम सब हँसने लगे। फिर हम खड़े होकर अपनी गाँड धोने जाने लगे तो पापा ने मेरी गाँड पर एक चपत लगा दी और फिर वो मुस्कुराने लगे। फिर काका बोले के हमे खेत के काम के लिए तो कुछ मजदूर चाहिए ही होते है। अपने पास खेत भी ज्यादा है तो हम गाँव मे से ही 5-6 जनों को मजदूर रख लेते है। ताकि हमें हर दिन नए मजदूर की तलाश ना करनी पड़े। फिर पापा बोले के हाँ ये तो काफी अच्छी बात है। फिर मैं काका से बोली के तो तुम गाँव से ऐसे लोगों को चुन कर लाओ जो नशे के आदि हो। फिर काका बोला के हाँ मैं कुछ दिनों में ऐसे लोगो को चुनकर ले आऊंगा।

फिर हम घर पर आ गए। फिर आकर नहाए और फिर खाना खाकर पापा और मैं मेरे गाँव मे बने क्लिनिक पर जाने लगे और फिर काका भी हमारे साथ बैठ गया। फिर वो तो अपने घर के पास उतर गया और मैं और पापा मेरे क्लिनिक पर चले गए। वहाँ गए तो कुछ लोग मिठाई लेकर आये थे। क्योंकि उनके मेरी वजह से बच्चा हुआ था। वहाँ गाँव के कुछ बुजुर्ग भी थे। फिर वो बोले के हम धन्य हो गए जो हमारे गाँव मे ऐसी बेटी पैदा हुई। उस बुजुर्ग की आवाज सुनकर मेरा मन जोर से हँसने का हो रहा था। लेकिन मैंने खुद पर कंट्रोल रखा। फिर वो सब चले गए तो मैं और पापा क्लिनिक मैं जाकर बैठ गए। क्लिनिक एक खाली पड़े घर के बाहर वाले कमरे में था। उस कमरे से ही लगा हुआ घर के अंदर एक और कमरा था। जब कोई नहीं होता तो अक्सर मैं और पापा का अंदर वाले कमरे में चले जाते और फिर मस्ती करने लगते। जब कोई आता तो बाहर एक घंटी लगाई है तो वो वो बजा देता फिर मैं जल्दी से अपने कपड़े सही करके उस बाहर वाले कमरे में चली जाती। ज्यादा तो मैं पूरी नंगी होकर ही चुदती हूँ तो कभी मुझे कपड़े पहनने मैं समय लग जाता तो पहले पापा कपड़े पहनकर जल्दी से चले जाते और फिर मैं आराम से आती। कई बार काका भी आया हुआ होता तो पापा और काका में से एक जना बाहर वाले कमरे में बैठा रहता और दूसरा मेरे साथ होता। कई बार दोनों ही मेरे साथ होते और मैं दोनों से एक साथ करती। कोई बाहर आता तो पहले काका और पापा बाहर चले जाते और फिर मैं आती। इस प्रकार मैं क्लिनिक मैं भी काफी मस्ती करती। मैंने कई सूट गहरे गले के सिलवा रखे है। जिनमें से मेरे काफी बूब बाहर दिखते है। फिर जब कोई नहीं होता तो मैं अपनी चुन्नी और दुपट्टा बोबो पर से हटा लेती और मेरे सामने बैठे हुए पापा और काका मेरे बोबे देखकर अपना लंड सहलाते रहते और उन्हें देखकर मैं मुस्कुराती रहती। कई बार जब कोई गाँव का आदमी चेकअप करवाने आता और वो थोड़ा शरीफ और भोले भाले टाइप का होता तो उसके सामने भी मैं अपनी चुन्नी और दुपट्टा नीचे कर देती तो वो बेचारा मेरे बोबे ही देखता रहता। मैंने गाँव में काफी सीरियस डिलीवरी करवाई है तो सब गाँव वाले मुझे काफी समझदार मानते है। उनके मन मे मेरे लिए काफी इज्जत है। इसी का फायदा उठाकर मैं थोड़ी मस्ती भी कर लेती हूँ।

उस दिन कम ही लोग आए थे। फिर शाम होने से पहले काका आ गया और फिर हम तीनों बैठकर बातें करने लगे। फिर काका बताने लगा के वो गाँव मे कई नीची जात वाले लोगो के घर गया और उनसे कहा के पापा अपने खेत के लिए कुछ मजदूर ढूंढ रहे है जिन्हें पक्की पगार मिलेगी और पीने के लिए दारू। फिर काका बोला के तो वो लोग तैयार हो गए है पर हम अपने मतलब के लोग ही रखेंगे जो नशेड़ी हो और जिनकी उम्र भी कम से कम 35-40 साल हो। फिर हमें ऐसे ही बातें करते करते रात हो गई और लाइट भी नहीं थी। फिर हमने लैंप जला लिया। फिर अंधेरे का फायदा उठाकर काका मुझसे चिपकने लगा। फिर मैं भी काका के साथ मस्ती करने लगी। फिर मैंने अपने सब कपड़े खोल दिये और नंगी हो गई तो फिर काका मेरे बोबे चुसने लगा और गाँड दबाने लगा। फिर पापा ने चलने के लिए कहा तो हम सब कमरे से बाहर आ गए और मैं कमरे के ताला लगाने लगी। फिर मैं ताला लगाकर काका के साथ जीप की तरफ जाने लगी तो मुझे याद आया के मैंने कपड़े तो अंदर ही छोड़ दिये। फिर मैंने ताला दोबारा से खोला और कपड़े लिए और बाहर आकर कपड़े काका को दे दिए और काका ने जीप में छोड़ दिये। अंधेरा हो चुका था तो मैं बिल्कुल नंगी ही घूम रही थी। फिर मैंने ताला लगाया और फिर हम जीप में बैठ गए। मैं आगे ही पापा और काका के बीच मे बैठी थी और काका मेरा बदन सहला रहा था। हम गाँव की गलियों से होकर जा रहे थे और मैं जीप मैं एक दम नंगी बैठी थी तो मुझे काफी मजा आ रहा था। फिर हम घर पहुंचे और खाना खाकर थोड़ी मस्ती करके सो गए।

फिर ऐसे ही कई दिन निकल गए। इतने में काका ने भी 7-8 आदमी तैयार कर लिए। फिर एक दिन सुबह के टाइम वो सब हमारे घर आये। पापा और काका चौकी पर बैठे थे और उनसे बातें कर रहे थे। फिर मैंने उन्हें बाहर वाले कमरे की खिड़की से देखा। वो सब थोड़े बूढ़े ही थे उनमें जवान कोई नहीं था। उन्हें देखकर मैं मन ही मन सोचने लगी के इनके सामने मैं नंगी होकर पापा से चुदूँगी। ये सोचकर मेरी चुत पानी छोड़ने लगी। फिर पापा और काका ने उन सबको खेत मे काम करने भेज दिया। वो सब हमारे खेतों में काम करने लगे। फिर वो काम करके शाम को घर जाते तो पापा उन्हें कभी कभी दारू पिला देते जिससे वो काफी खुश हो जाते। उन्हें काम करते हुए कई दिन हो गए थे तो हमने योजना बनाई के हम उन्हें हमारे दूसरे खेत जो कि गाँव से थोड़ा दूर है वहाँ पर काम लगा देंगे और फिर हम वहीं अपनी रास लीला करेंगे। फिर वो दिन भी आ गया। पापा ने उन्हें उस खेत मे काम करने के लिए भेज दिया। फिर मैं अच्छे से तैयार हुई और मेकअप वगेरह किया और बालों का जुड़ा बना लिया। पैरों में हाई हील वाले सैंडल पहन लिए और कानों में बड़ी बड़ी सोने की बालियां पहन ली। फिर मैंने एक सेक्सी सी ब्रा पैंटी भी पहन ली। फिर मैं इसी तरह पापा और काका के साथ जीप में बैठकर उस खेत मे जाने लगी। मेरा प्लान उन सब के सामने बस ऐसे ही जाने का था ताकि वो सब मुझे देखते ही मेरे गुलाम बन जाए। गाँव के ही लोगों के सामने इस प्रकार जाने में मुझे शर्म तो नहीं आ रही थी पर मैं काफी उत्सुक थी। फिर हम उस खेत मे पहुँच जहाँ वो सब काम कर रहे थे। तब तक दोपहर हो चुकी थी और वो सब एक पेड़ के नीचे बैठे थे। फिर पापा ने जीप भी लेजाकर उनके पास ही रोक दी। मैं जीप में पीछे बैठी थी। फिर पापा और काका उतर गए और उनसे बातें करने लगे। फिर मैं जब जीप से उतरी और उन सबके सामने अपनी कमर पर हाथ रखकर खड़ी हो गई। मुझे देखते ही उन सब के होश उड़ गए। उनके पैरों तले जमीन निकल गई। मैं उन सबके चेहरे देखकर हँसने लगी। फिर उनमें से एक आदमी बोला के ये हकीकत हैं या कोई सपना। फिर मैं चलकर उसके पास गई और उसके मुँह पर हाथ फेरकर बोली के ये बिल्कुल सच है। फिर उनमें से एक बोला के तुमने कुछ पहना क्यों नहीं है। फिर मैं बोली के सबकी अलग अलग पसंद हैं। तुम सबको दारू पीना अच्छा लगता है तो मुझे मर्दों के सामने नंगी रहना पसंद है। लगभग वो सब मुझे जानते थे। क्योंकि गाँव में सबने मुझे कहीं न कहीं देखा है या मेरे पास आया है। वो मुझे डॉक्टरनी कहते है। फिर उनमें से एक बूढ़ा बोला के तुम्हें अपने बाप के सामने शर्म नहीं आती। फिर मैं पापा के पास उनकी कमर में हाथ डालकर खड़ी हो गई और बोली के मजे लेने मैं शर्म कैसी। फिर पापा बोले के जब आपके सामने कोई सुंदर लड़की अपनी चुत फैलाये हो तो आप अपने आपको कब तक रोक पाओगे। हम सब बातें कर ही रहे थे। फिर मैंने अपनी ब्रा खोली और जीप के आगे रख दी। मेरे नंगे बोबे देखकर वो सब देखते हो रहा गए। फिर मैं उन सब के बीच घूमने लगी और उनसे बोलने लगी के तुम सब को काम चाहिए, पैसे चाहिए और शाम को दारू भी चाहिए। वो सब तुम लोगो को यहाँ मिलेगा और मुझे जो चाहिए वो सब मैं तुम लोगो से अपने आप ले लूँगी। फिर वो बोले के मुझे क्या चाहिए। फिर मैं बोली के मैं तुम सबके सामने ऐसे ही नंगी रहूँ और तुम भी आज से सब नंगे ही रहोगे मेरे सामने और हम सब बस ऐसे ही मजे करते रहे। फिर वो सब मान गए। 

फिर मैं पापा के पास गई और पापा को उन सबके सामने मेरी पैंटी खोलने के लिए कहा। फिर पापा नीचे बैठे और मेरी पैंटी पकड़कर नीचे खींच दी और फिर मेरे पैरों से निकाल दी। अपने बाप से ही ऐसे सबके सामने नंगी होने का मजा कुछ और ही था। फिर मैंने अपने हाथों से पापा की लूँगी खोल दी और उनका कुर्ता उतार दिया। फिर पापा भी पूरे नंगे हो गए तो मैं पापा का लंड पकड़कर सहलाने लगी। ऐसे सबके सामने मैं अपने ही बाप का लंड पकड़कर खड़ी थी। हमे ऐसे देखकर वो सब बेचारे तो देखते ही रह गए। फिर काका भी नंगा हो गया तो मैंने उसका भी लंड पकड़ लिया। फिर काका ने सबको बोला के अब सिर्फ देखते ही रहोगे या खुद भी कुछ करोगे। फिर मैं बोले के मैं इन सब के कपड़ें अपने हाथ से उतारूंगी। फिर मैंने एक एक करके उन सब के कपड़े खोलकर उन्हें नंगा कर दिया। फिर मैं वापिस पापा और काका के पास आ गई तो फिर वो दोनों मेरे बोबे और गाँड सहलाने लगें। फिर मैं उन सबसे बोली के अगर तूम लोग ये सब किसी को बताओगे नहीं तो तुम्हें आगे और भी मजे दूँगी। अगर तुममें से किसी ने बताया भी तो पहले तो तुम्हारी बात पर कोई यकीन नहीं करेगा और अगर हमें पता लग गया के तुम में से किसी ने बताया है तो मैं उस पर अपने बलात्कार का केस कर दूँगी अब फैसला तुम्हारे हाथ मे है। फिर वो सब बोलने लगे हमे यहाँ सब इतना कुछ मिल रहा है तो हम किसी और को क्यों बताओगे। बस आप हमारी जगह किसी और को मत रख लेना। फिर मैं बोली के नहीं रखेंगे। फिर वो सब खड़े थे और अपना लंड सहला रहे थे। उनमें से एक दो शर्मा भी रहे थे। फिर मैं उनके पास गई और उनसे चिपककर खड़ी हो गई उनके हाथ अपनी गाँड पर रख लिए तो फिर वो मेरी गाँड सहलाने लगे। फिर कुछ देर में ही उनका लंड खड़ा हो गया तो फिर उसके खड़े लंड को देखकर हम सब हँसने लगे। फिर वहाँ पर एक चारपाई रखी थी। फिर काका मुझे पीछे से उठाकर उस चारपाई पर ले गए। फिर काका मेरे ऊपर आकर मुझे चोदने लगे। फिर कुछ देर करने के बाद काका झड़ गया। बाकी सब हमे देखकर अपना लंड हिलाने लगे। फिर मेरे दिमाग मे एक तरकीब आई। वहाँ कुछ काच के ग्लास रखे थे जो कि दारू पीने के लिए थे। फिर मैंने काका से वो काच के ग्लास उन सबको देने के लिए कहा और उन सबको अपने लंड का पानी उस ग्लास में डालने के लिए बोला। फिर वो सब वैसे ही करने लगें। फिर पापा मुझे घोड़ी बनाकर चोदने लगे। फिर पापा बोले के तुम्हें इन सबके सामने चोदने मैं बहुत मजा आ रहा है। फिर मैं पापा से बोली के मुझे भी बहुत आ रहा है। फिर पापा झड़ गए तो हम चारपाई पर बैठ गए। हम दोनों बाप बेटी की चुदाई देखकर उन सबके लंड ने भी पानी छोड़ दिया और उन्होंने सारा पानी उन ग्लासों में डाल दिया। 4-5 ग्लास थे तो फिर मैंने उन ग्लासों का पानी एक ग्लास में डाल दिया तो उन सबके पानी से एक ग्लास पूरा भर गया और फिर मैं उन सबका पानी पी गई। फिर मैं उन सबसे बोली के तुम्हे दारू अच्छी लगती है और मुझे ये। फिर मैं उन सबसे बोली के अगर सब कुछ ठीक चलता रहा तो मैं तुम सबके लंड रोज चुसुंगी और तुमसे चुदवाऊंगी भी। पर ये सब मैं अपनी मर्जी से करूँगी। अगर तुम में से किसी ने जोर जबरदस्ती की तो मैं उसके खिलाफ केस कर दूंगी। फिर वो सब बोले के तुम हमारे सामने नंगी रहो हमारे लिए ये ही बहुत है। 

फिर हमें शाम हो गई थी तो फिर हमने वापिस आने की तैयारी करने लगे। फिर पापा और काका और एक आदमी तो आगे बैठ गए और मैं नंगी ही बाकी मर्दों के साथ उनकी गोद में बैठ गई। फिर वो रास्ते भर मेरे कभी बोबे दबाते तो कभी मेरी जांघे सहलाते रहे। फिर पापा ने जीप गांव के पास वाले खेत मे रोक दी। फिर वहाँ सब उतरकर वो सब तो दारू पीने लगे और मैं अपनी ब्रा पैंटी लेकर घर आ गई। घर आकर मैंने सब दाई को बताया तो दाई बोली के तू तो रंडियों से भी ऊपर निकल गई। ये सुनकर मैं हँसने लगी। फिर मैं दाई से बोली के इतने मर्दों के बीच नंगी रहने का मजा ही कुछ और होता है। फिर दाई बोली के हाँ खूब कर मजे पर गाँव मे किसी को पता ना चलने देना। फिर मैं बोली के पता चल भी गया तो क्या उनके पास कोई सबूत तो हैं नहीं के हमने उनके सामने ये सब किया है। फिर दाई बोली के हाँ पर अगर वो किसी को बताएंगे तो। फिर मैं बोली के बताएंगे तो मैं बोल दूँगी के वो मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे है। फिर गाँव वाले उसे अपने आप ही निपट लेंगे। फिर दाई बोली के तुम सुंदर होने के साथ साथ काफी तेज भी हो। फिर मैं और दाई हँसने लगी। 

फिर उस दिन के बाद मैं जल्दी से अपना काम निपटाकर खेत मे चली जाती और उनसे मस्ती करती। मैं उनके साथ काफी गंदी भाषा मे बात करने लगी थी। जिस कारण उन्हें भी काफी मजा आता था। वो पहले तो शराब के नशे में डूबे रहते थे। लेकिन फिर मैं उनके सामने पापा और काका के अलग अलग पोज़ में चुदवाती तो वो मुझे देखते ही रह जाते। वो जब कभी घर पर आते तो मैं घर पर भी चौकी पर पापा और काका के साथ नंगी बैठी रहती या इधर उधर घूमती रहती। जिस दिन मेरी छुट्टी होती उस दिन मैं भी उनके साथ खेत चली जाती और हम सब खेत मे नंगे ही रहकर काम करते थे। मैं उन सब के लंड हिला चुकी थी और उन सबने भी मेरे बोबे और चुत अच्छी तरह से सहला लिये थे। फिर वो शराब को भूल गए और मेरे गुलाम बन गए। वो फिर शराब भी पीते तो वो पहले शराब से मेरे पैर धोते और फिर वो शराब पीते थे। फिर उनमें से कभी मुझे कोई गाँव में मिल जाता तो कहता के तुम्हें देखकर ऐसा लगता नहीं हैं के तुम हम सबके सामने नंगी रहती हो। ये सुनकर मैं हँस देती। 

इस प्रकार मैं उन सबके बीच नंगी रहकर काफी मजे ले थी थी। अगले भाग में बताऊंगी के मैंने उनके साथ ऑफ क्या क्या मजे किये.....

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