अगली सुबह दाई चाय लेकर आई और हमें उठाया। मैं और मम्मी पति से चिपककर सोई हुई थी। फिर हम उठे और उठकर बैठ गए। इतने में पापा, काका और रामु भी वहाँ आ गए। फिर मैं और मम्मी बेड से उतरी और वहीं पास ही नीचे बैठकर पेशाब करने लगी क्योंकि अब किसी से शर्म तो रही नहीं थी। फिर पति भी बेड से उतरे और उन्होंने भी वहीं पेशाब कर लिया। फिर हम सब वापिस बेड पर आ गए। पति का मजबूत शरीर और लंड देखकर मैं और मम्मी फिर से गर्म हो गई थी तो फिर वापिस हम पति से चिपककर बैठ गई औऱ पति भी हम दोनों की कमर में हाथ डालकर बैठ गए। फिर हमने चाय पी। फिर पति ने हम सबके सामने मम्मी से लिप किस किया और मम्मी भी पति का लंड सहलाने लगी। फिर काका ने पापा से पति को अपने घर ले चलने को कहा। फिर मैंने पति से कहा के काका भी अपनी बेटी और बीवी को घर पर नंगी रखता है और उनकी चुदाई करता है। फिर मैं पति से बोली के तैयार हो जाइए दो चूते और मिलने वाली है तो पति हँसने लगे।

फिर काफी धूप निकल चुकी थी तो चाय पीने के बाद मैं और मम्मी पापा, काका और पति के साथ फ्रेश होने के लिए खेत मे चले गए और वहाँ एक दूसरे के सामने बैठकर हम फ्रेश होने लगे। फ्रेश होने के बाद हम सब अपनी गाँड धोने के लिए पानी की डिग्गी के पास गए। सबसे पहले मैं अपनी एक टांग डिग्गी पर रखकर दिग्गी से पानी लेकर अपनी गाँड धोने लगी। फिर पापा और काका ने भी अपनी गाँड धो ली। फिर मम्मी भी मेरी तरह गाँड धोने लगी तो मम्मी की गौरी गौरी गाँड देखकर पति से रहा नहीं गया और पति जाकर मम्मी की गाँड अपने हाथों से धोने लगे। पति मम्मी के पूरे दीवाने हो गए थे। फिर पति ने अपना मुँह मम्मी की गाँड पर लगाया और मम्मी की गाँड अपनी जीभ से चाटकर साफ कर दी। ऐसे करते देख मम्मी हँसने लगी। फिर हम सब घर आ गए। घर आते ही काका ने हमे अपने घर चलने को कहा। फिर मैं बोली के नहाकर चलते है। फिर काका बोला के वहीं चलकर नहा लेना। फिर हम चलने के लिए तैयार होने लगे। पापा, काका और पति ने तो कपड़े पहन लिए। फिर मैं और मम्मी बोली के हम क्या पहनें। फिर काका बोले के कोई ऐसे कपड़े पहनो जिसमे से तुम दोनों के बदन दिखें। फिर मैं और मम्मी ने साड़ी पहनी। साड़ी पतली सी थी और हमनें साड़ी बिना ब्लाउज के पहनी थी। नीचे पेटीकोट भी नहीं पहना था।

हमने साड़ी को बस अपने शरीर पर लपेट लिया और ऊपर से साड़ी से अच्छी तरह ढक लिया था ताकि किसी को पता न चल सके हमने ऊपर कुछ नहीं पहना है। फिर हम काका के घर जाने लगे। हम सड़क पर चल रहे थे और दूर दूर तक कोई नहीं दिख रहा था तो मैं और मम्मी बिना मुँह ढके ही चल रही थी। फिर मेरी साड़ी ढीली हो गई तो मैं उसे ठीक करने लगी पर वो ठीक नहीं हो रही थी और मेरी सारी साड़ी खुल गई और फिर मैंने साड़ी को अपने शरीर से अलग कर लिए और मैं बीच सड़क पर ही नंगी हो गई और फिर मैंने साड़ी को एक हाथ मे ले लिया और ऐसे ही नंगी सड़क पर चलने लगी। मुझे देखकर पापा, काका और पति अपने लंड सहलाने लगे। फिर मम्मी बोली के क्या कर रही है साड़ी पहन लें जल्दी से कोई आ जायेगा। फिर मैंने चलते चलते ही दोबारा साड़ी बांध ली। फिर हम गाँव में आ गए तो मैंने और मम्मी ने घूँघट निकाल लिया। मम्मी के साथ मैंने भी घूँघट निकाल लिया ताकि कोई हमें पहचान ना सके। फिर हम गाँव में पहुंचे तो हमें पता चला के हमारे गाँव के मंदिर में आज सत्संग थी। वो मंदिर काफी पुराना मंदिर है और सब गांव वाले उसे बहुत मानते है तो साल में एक बार उसमें सत्संग रखवाते है और लगभग सभी गाँव वाले उसमें जाते है। उस दिन भी सब तो नहीं पर लगभग गाँव के लोग मंदिर में थे तो गलियों वगेरह में लोग ना के बराबर थे और इक्के दुक्के लोग जो घर पर थे वो भी अपने घर के अंदर ही थे।

ये देखकर मैं और मम्मी बिना घूँघट के ही चलने लगी। हम गाँव के बीच वाली गली के बजाय बाहर वाली गली में चल रहे थे। उस गली में तो लोगो का आना जाना और भी कम होता है। फिर मुझे पेशाब आने लगा। फिर मैंने मम्मी से पेशाब करने को कहा तो मम्मी बोली के काका के घर जाकर कर लेना। फिर मैं बोली के घर पर तो रोज ही करते है आज खुले में करने का मन कर रहा है। फिर पापा, काका और पति भी हमारे पास पास ही चल रहे थे। उस गली के एक तरफ घर थे और दूसरी तरफ गाय भैंस के गोबर से औरतों ने उपले बनाये थे जिसे आम भाषा में थेपडी भी कहते है। ये उपले बहुत सारे होते है तो वो उन उपलों को इकट्ठा करके एक जगह त्रिभुज के जैसे बना देती है जो कि थोड़े ऊंचे होते और ऊपर से गोबर से ही लिप देती है ताकि बारिश से ना भीग सके उपले। इन्हें आम भाषा में बटोड़े कहते है। ऐसे वहाँ काफी बटोड़े बने थे तो काका ने उनके पीछे जाकर पेशाब करने को कहा। फिर मैं और मम्मी उनके पीछे जाने लगी। उनके पीछे जाने से पहले ही मैंने अपनी साड़ी खींचकर खोल दी और नंगी हो गई और फिर साड़ी को एक जगह पर रखकर उनके पीछे जाकर पेशाब करने लगी। उनके पीछे जाकर मम्मी ने भी अपनी साड़ी खोल दी थी। पापा , काका और पति गली में ही उनके आगे खड़े थे। फिर पेशाब करने के बाद मैं उन बटोडो के  पीछे से निकलकर पापा, पति और काका के पास चली गई। मैं गली मैं उनके पास नंगी ही खड़ी थी। फिर काका पापा कहते यहाँ क्यों आ गई। फिर मैं बोली के मेरा यहीं करने का मन कर रहा है। फिर पापा ने काका और पति से बोले के पहले तुम दोनों जाओ और इनकी प्यास बुझाओ मैं यहाँ ध्यान रखता हूँ। फिर मैं काका और पति के साथ वापिस उन बटोड़ो के पीछे चली गई।

फिर काका ने मुझे एक बटोड़े के सहारे झुकाकर खड़ा कर लिया और पीछे से मेरी गाँड में लंड डालकर करने लगा। उधर पति भी मम्मी से ऐसे ही करने लगे। फिर थोड़ी देर बाद काका झड़ गया तो काका पापा के पास चला गया तो फिर पापा हमारे पास आ गए और फिर पापा मुझे चोदने लगे। फिर पापा भी झड़ गए। फिर पति भी झड़ गए। दोपहर होने को थी और तो धूप में मैं और मम्मी पूरी पसीने से भीग गई थी। फिर पापा और पति अपने अपने पायजामा का नाड़ा बांधते हुए उन बटोड़ों के आगे गली में चले गए। फिर मैं और मम्मी भी हाँफते हुए बटोड़ों के पीछे से निकलकर उनसे थोड़ी दूर खड़ी हो गई। फिर काका बोला के आज तो बहुत मजा आया ऐसे गाँव मे करके। फिर पापा और पति बोले के उन्हें भी काफी मजा आया। फिर मैंने और मम्मी ने साड़ी पहन ली और फिर हम काका के घर जाने लगे। वो तीनो हमारे पीछे ही चल रहे थे। जब काका का घर थोड़ी ही दूर रह गया तो काका ने हमसे नंगी होकर चलने को कहा। फिर मैं और मम्मी मान गई। फिर मैंने और मम्मी ने अपनी साड़ी उतार कर काका को दे दी और फिर हम पूरी नंगी होकर काका के घर की ओर चलने लगी। कोई देख लेगा ऐसा डर तो हमें बिल्कुल भी नहीं लग रहा था और हम दोनों माँ बेटी भरी दोपहर में गाँव की गली में नंगी चल रही थी। फिर हम काका के घर के गेट के आगे पहुंची तो गेट अंदर से बंद था। मैं और मम्मी जल्दी से अंदर जाना चाहती थी। लेकिन गेट बंद होने के कारण मैं और मम्मी गेट के बाहर ही नंगी खड़ी रही। फिर काका, पति और पापा हमारे पास आये तो फिर काका गेट खुलवाने के लिए आवाज लगाने लगे जोर से। फिर काका की बीवी आई भागकर औऱ गेट खोल दिये। फिर हम सब घर के अंदर चले गए।

फिर मैं और मम्मी तो जाते ही नहाने लग गई। हम दोनों साथ ही नहा रही थी तो नहाते टाइम मैं मम्मी के बूब दबाने लगी और हम एक दूसरे से मस्ती करने लगे। फिर हम नहा ली तो मम्मी ने हम दोनों ने जो साड़ी पहनी थी वो एक बाल्टी में पानी डालकर धो दी। फिर उस बचे हुए गंदे पानी को डालने के लिए मम्मी नंगी ही गेट खोलकर बाहर गली में चली गई और गली में पानी डालकर आ गई। मैं मम्मी को ही देख रही थी तब। मम्मी तब मुझे काफी सेक्सी लग रही थी। फिर हम अंदर गई। तो देखा के पापा, पति और काका तो नंगे होकर कमरे में बैठे थे। फिर मम्मी ने उन्हें भी नहाने को कहा। फिर वो सब भी बाहर जाकर नहाने लगे। फिर मैं और मम्मी  काका की बीवी और बेटी के पास गई। फिर हमने उन्हें नंगी कर दिया। फिर वो तीनो भी नहाकर आ गए तो मैंने काका की बेटी को तौलिया देकर उनके पास भेज दिया। काका की बेटी को देखकर उनके सब के लंड फिर से खड़े हो गए। फिर मैंने काका की बीवी को सरसों के तेल की बोतल देकर भेजा। उन दोनों माँ बेटी को देखकर पति और पापा काफी गर्म हो गए। फिर पति ने काका की बीवी से तेल से मालिश करने को कहा तो वो मालिश करने लगी। फिर पति ने अपने लंड की मालिश करवाई। काका की बीवी के बूब बड़े बड़े थे जिस कारण वो दिखने में सेक्सी लगती थी तो पति ने काका की बीवी को घोड़ी बनाया और करने लगे। उधर पापा काका की बेटी से अपना लंड चुसवाने लगे। हमने खाना नहीं खाया था तो मम्मी हम सबके लिए खाना बनाने लगी। फिर मैं कभी मम्मी के पास किचन में जाति तो कभी कमरे में जाति। फिर काका उठकर किचन में चला गया। फिर मैं थोड़ी देर बाद किचन की तरफ गई तो देखा के काका ने मम्मी को अपने लंड पर बैठा रखा है और मम्मी रोटी बना रही थी और साथ मे काका के लंड पर ऊपर नीचे भी हो रही थी। ये देखकर मैं हँसने लगी। फिर खाना बन गया तो मम्मी और काका भी कमरे में आ गए। जहाँ पापा और पति काका की बीवी और बेटी की चुदाई कर रहे थे। पति का लंड बड़ा था तो काका की बीवी को दर्द हो रहा था तो वो लगभग रो ही पड़ी थी। फिर कुछ देर बाद वो सब झड़ गए तो हम सब ने खाना खाया।

खाना खाकर पति काका की बेटी से करने लगे और पापा काका की बीवी से। मैं और मम्मी काका के साथ सोइ थी। फिर मैं और मम्मी साथ मे काका का लंड चूसने लगी। तो काका काफी गर्म हो गया और उसके लंड से पानी की पिचकारी निकलने लगी तो वो सब पानी मैंने और मम्मी ने चाट लिया। फिर पापा काका की बीवी के साथ सो गए और हम तीनों भी सो गए। लेकिन पति अभी काका की बेटी को चोद ही रहे थे। फिर बाकी सब तो उठ गए थे और मैं और मम्मी एक दूसरे से चिपककर सो रही थी। फिर शाम हो गई थी तो हम भी उठ गई। पति और पापा ने काका की बीवी और बेटी को अपनी गोद में बैठा रखा था और उनके बोबे सहला रहे थे। फिर काका ने मुझे और मम्मी को चाय लाकर दी। फिर मैंने और मम्मी ने चाय पी। फिर हम सब बातें करने लगे। हम पति को बताने लगे के पहले हमने काका के घर क्या क्या किया था। मैंने और काफी बातें बताई के कैसे मैंने गाँव की एक टेलर के पति के साथ किया और इसके अलावा भी काफी बातें बताई। फिर पति बोले के बंद कमरे में करने के बजाय ऐसे करने में ही मजा आता है। फिर काका की बीवी और बेटी तो बाहर जाकर काम वगेरह करने लगी और फिर मम्मी जाकर पति के पास बैठ गई और पति का लंड सहलाने लगी। फिर पति ने हम सबके सामने ही कहा के मैं तो अपनी सासु माँ का दीवाना हो गया हूँ। फिर मम्मी बोली के दामाद जी आप भी काफी अच्छे से चुदाई करते है। मम्मी और पति एक दूसरे को काफी पसंद करने लगे थे। फिर मम्मी पति से बोली के आप जैसा कोई हट्टा कट्टा मर्द हो  तो मैं उससे बस  दिन रात चुदवाती ही रहूँ। फिर पति बोले के मेरा जैसा ही क्यों मैं हूँ ना। मुझे भी आप जैसी भरे बदन वाली औरत काफी पसंद है। फिर पति ने मम्मी को अपने साथ चलने और रहने को कहा तो मम्मी भी मान गई। मानती कैसे नहीं मम्मी काका के साथ भी काका के साथ घर में रह चुकी थी और काका मम्मी को कभी कभी अपने साथ अपने रिश्तेदारों के यहाँ भी ले जाता था अपनी बीवी बनाकर और किसी को पता भी नहीं चलता था।

फिर बातें करने के बाद हम उठकर कमरे से बाहर आँगन में आ गए। बाहर थोड़ा थोड़ा अंधेरा हो चुका था। फिर हम आँगन में और फिर आँगन से बाहर आ गए और इधर उधर घूमने लगे। काका की बीवी और बेटी काम कर रही थी। पति मम्मी के पीछे खड़े थे और मम्मी के बूब सहला रहे थे। मैं पापा और काका के बीच थी और मैंने उनके लंड पकड़ रखे थे। तब तक थोड़ा थोड़ा अंधेरा हो चुका था। फिर काका बोला के आज रात को गाँव के बिल्कुल बीच मे ले जाकर इन दोनों माँ बेटी की चुदाई करते है। हम सब थोड़े थोड़े गर्म हो चुके थे तो फिर हम सबने काका की बात मान ली। फिर खाना वगैरह खाने के बाद हम जाने की तैयारी करने लगे। गाँव के बीच में एक बरगद का बहुत बड़ा पेड़ था। जब कोई बात होती तो सब गाँव वाले वहीं इकठ्ठा होते थे और ये जगह काका के घर से थोड़ी दूर ही थी। इसके लिए हमे कई गलियों में से होकर गुजरना था। फिर मैं और मम्मी मेकअप वगैरह करके तैयार हुई और पैरों में सैंडल पहने और गले और कानों में थोड़ी ज्वैलरी पहनी। पैरों में पायजेब पहनी थी वो हमने उतार दी थी ताकि उसकी आवाज सुनकर कोई हम तक ना पहुंच जाए। फिर काका ने दो चादर ले ली ताकि अगर कुछ हो तो उस चादर से मैं और मम्मी अपने आपको ढक सके वरना वो चादर बिछाकर हमको चोदने के काम आये। फिर थोड़ी रात हो गई तो मैं और मम्मी बिल्कुल नंगी घर का दरवाजा खोलकर बाहर आ गई और हमारे पीछे पति, पापा और काका भी आ गए। फिर मैं और मम्मी अपनी सब शर्म उतारकर ऐसे चलने लगी के जैसे अगर कोई हमें देख भी ले तो हमें कुछ फर्क ना पड़े। फिर हम गाँव की गलियों से होकर गुजरने लगे तो हमें काफी मजा आ रहा था। फिर कुछ देर बाद हम गाँव के बिल्कुल बीच में उस बरगद के पेड़ के पास पहुँच गए। मुझे तो यकीन नहीं हुआ के मैं और मम्मी यहाँ तक नंगी चलकर आई हैं। फिर वहाँ एक चौक बना था उस पर काका ने चादर बिछाई। फिर उस पर मैं और मम्मी लेट गई। फिर पति ने अपने सब कपड़े उतारे और नंगे होकर मम्मी पर चढ़ गए। उधर काका और पापा भी नंगे हो गए और मेरे पास आ गए और फिर मैं उन दोनों से करने लगी। हम कम से कम आवाज करने की कोशिश कर रहे थे पर फिर भी मेरी और मम्मी की सिस्कारियाँ कुछ ज्यादा ही निकल रही थी। फिर एक बार झड़ने के बाद फिर पति मुझसे करने लगे और पापा और काका मम्मी से करने लगे। फिर कुछ देर करने के बाद हम फिर से झड़ गए। फिर कुछ देर तक तो हम ऐसे ही सोये रहे और फिर उठकर वापिस जाने लगे। इस बार हम गाँव के बाहर वाले रास्ते से जा रहे थे। फिर हमने देखा के सामने से एक आदमी आ रहा था। उसे देखकर हम सब पहले तो वहीं रुक गए। फिर वो बड़बड़ा रहा था तो पता चला के वो पिया हुआ था। फिर काका और पति ने हमें उसके पास जाने के लिए बोला तो मैं औऱ मम्मी बिल्कुल नंगी उसके सामने जाकर खड़ी हो गई और उसे देखकर मुस्कुराने लगी। वो आदमी गाँव का ही था और मजदूरी वगैरह करता था। हमें नंगी देखकर पहले तो वो हमें देखता ही रह गया और फिर वो हमारे बूब के हाथ लगाने लगा और धीरे धीरे सहलाने लगा। मैं और मम्मी भी पूरी तरह खुलकर उससे अपने बूब दबवा रही थी और मजे ले रही थी। पापा, काका और पति थोड़ा छिपकर खड़े थे और हमें देख रहे थे। फिर मम्मी उसके पास गई और अपना बूब उसके मुँह में देने लगी और मैंने उसकी लूँगी में हाथ डालकर उसका लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी। फिर मैंने वहीं उसकी लूँगी खोल दी और उसे नीचे से नंगा कर दिया। फिर मैं जोर से उसका लंड हिलाने लगी पर उसका खड़ा ही नहीं हो रहा था। इतने में वो आदमी बेहोश होकर गिरने लगा तो पहले तो मैंने और मम्मी ने उसे संभाला फिर पीछे से काका और आ गए और वो बोले के इसे छोड़ दो यहीं। फिर मैंने और मम्मी ने उसे वहीं छोड़ दिया।

फिर हम काका के घर जाने लगे। फिर रास्ते में काका बोले के आज ये दोनों माँ बेटी पक्की रंडी बन चुकी हैं। ये सुनकर हम सब हँसने लगे। फिर पति बोले के अगर औरत इन जैसी खुलकर मजा लेने वाली हो तो जिंदगी जीने का मजा आ जाता हैं। फिर काका बोला के हाँ ये बात तो आपकी बिल्कुल सही हैं। पति ने मम्मी की कमर में हाथ डाल रखा था और काका और पापा ने मेरी कमर में और हम बातें करते हुए गली में चल रहे थे। फिर कुछ देर बाद हम काका के घर पहुँच गए और जाते ही सो गए। तब लगभग आधी रात गुजर चुकी थी।

अगले भाग में बताऊंगी के कैसे हम सबने साथ मिलकर मस्ती की.....


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